aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "shaiKH"
साग़र-शिकन है शैख़-ए-बला-नोश की नज़रशीशे को ज़ेर-ए-दामन-ए-रंगीं छुपा के ला
शैख़-साहिब बरहमन से लाख बरतें दोस्तीबे-भजन गाए तो मंदिर से टिका मिलता नहीं
क्या जाने दाब सोहबत अज़ ख़्वेश रफ़्तगाँ कामज्लिस में शैख़-साहिब कुछ कूद जानते हैं
देख लेते जो उन्हें तो मुझे रखते मा'ज़ूरशैख़-साहिब मगर उस बज़्म में जा ही न सके
शैख़-साहिब को रोज़ की रोटीरात भर की बदी से मिलती है
इक़तिज़ा फ़ितरत का रुकता है कहीं ऐ हम-नशींशैख़-साहिब को भी आख़िर कार-ए-शब करना पड़ा
शैख़ ओ पीर-ए-मुग़ाँ की ख़िदमत मेंदिल से इक ए'तिक़ाद है हम को
चलो गुमराहियों की रुई भर लो अपने कानों मेंसुना है शैख़-साहब आज कुछ फ़रमाने वाले हैं
पानी में शकर घोल के पीता तो है ऐ शैख़ख़ातिर से मिला दे मिरी दो घूँट शराब और
'शौकी' तुझे मिल जाएँगे शैख़ और बरहमनइस शहर के मयख़ाने में आ सुब्ह से पहले
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