aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "'bachchan'"
हरिवंशराय बच्चन
1907 - 2003
शायर
शैलेंद्र बच्चन
लेखक
समीना बाग़चा बान
बच्चोँ का कुतुब ख़ाना, हैदराबाद
पर्काशक
बच्चों का बुक डिपो, दिल्ली
बच्चों का अदबी ट्रस्ट, नई दिल्ली
बच्चोँ का कुतुब ख़ाना, नई दिल्ली
गोर बच्चन सिंह तालिब
Jabbar Baghcha ban
बच्चों की दुनिया, हरयाणा
'वलाठोल', 'माहिर', भारती'बच्चन', 'महादेवी', 'सुमन'
बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दोचार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे
और 'फ़राज़' चाहिएँ कितनी मोहब्बतें तुझेमाओं ने तेरे नाम पर बच्चों का नाम रख दिया
हज़ारों शेर मेरे सो गए काग़ज़ की क़ब्रों मेंअजब माँ हूँ कोई बच्चा मिरा ज़िंदा नहीं रहता
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लेंकिसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए
कला और कलाकार की कल्पना-शक्ति बहुत बलवान होती है। कल्पना-शक्ति के सहारे ही कलाकार नई दुनिया की सैर करता है और गुज़रे हुए वक़्त की यादों को भी शिद्दत के साथ अपनी रचना में बयान करता है। बचपन के सुंदर और कोमल एहसास,उसकी मासूमियत और सच्चे-पन को अपनी रचना में चित्रित करना आसान नहीं होता। लेकिन शायरी जैसी विधा में बचपन के इस एहसास की तर्जुमानी भी की गई है। शायरी या कोई भी रचनात्मक शैली की अपनी सीमा है। इसलिए भाषा की सतह पर बचपन के एहसाह को बयान करने में शायरी की अपनी लाचारी भी है ।बचपन के एहसास से ओत-प्रोत शायरी हमारी इसी नाचारी का बदल है।
'बच्चन'بچنؔ
pen name
ख़ैयाम की मधुशाला
Allama Iqbal: Bachchon Ke Liye Nazmein
फ़ज़्ल ताबिश
नज़्म
मुस्कुराहटें
सबूही असलम
मनोरंजन
Urdu Mein Bachchon Ka Adab
खुशहाल ज़ैदी
बाल-साहित्य
Bachchon Ki Nafsiyat
डॉ. अब्दुर्रऊफ
मनोवैज्ञानिक
Bachpan Ladakpan Jawani
लेव तालस्तोय
जीवनीपरक
शख़्सियत
Bachchon Ke Deputy Nazeer Ahmad
असलम फ़र्रुख़ी
Badshahon Ki Kahaniyan
अननोन ऑथर
कहानी
Dadar Pul Ke Bachche
कृष्ण चंदर
नॉवेल / उपन्यास
Urdu English Nama
हैदर बयाबानी
Gorki Ki Aap Beeti (Bachpan)
मैक्सिम गोर्की
आत्मकथा
Mera Bachpan
अज़रा अब्बास
बच्चे मन के सच्चे
साहिर लुधियानवी
Shaikh Chili Aur Pari
अतीक़ सिद्दीक़ी
खेलने के लिए बच्चे निकल आए होंगेचाँद अब उस की गली में उतर आया होगा
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा मेंफिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते
वो गाँव का इक ज़ईफ़ दहक़ाँ सड़क के बनने पे क्यूँ ख़फ़ा थाजब उन के बच्चे जो शहर जाकर कभी न लौटे तो लोग समझे
तुम तन्हा दुनिया से लड़ोगेबच्चों सी बातें करते हो
वो सय्यद बच्चा हो और शैख़ के साथमियाँ इज़्ज़त हमारी जा रही है
वो सुन्नी बच्चा कौन था जिस की जफ़ा ने 'जौन'शीआ' बना दिया हमें शीआ' किए बग़ैर
मुझ को यक़ीं है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थींजब मेरे बचपन के दिन थे चाँद में परियाँ रहती थीं
मिरे बच्चों में सारी आदतें मौजूद हैं मेरीतो फिर इन बद-नसीबों को न क्यूँ उर्दू ज़बाँ आई
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