aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ",MIMs"
नून मीम राशिद
1910 - 1975
शायर
नून मीम दनिश
born.1958
मीम हसन लतीफ़ी
1905 - 1959
Meem Sheen Najmi
born.1952
ऐन मीम कौसर
मीम मारूफ़ अशरफ़
born.1999
मीम नून सईद
लेखक
मीम मीम राजिंदर
born.1923
मिस राफ़िया
मीम क़ाफ़ ख़ान
born.1940
मीम. क़ाफ़. सलीम
मीम अहमद
मीम, काफ़, महताब
मिस केथरीन मेयो
1867 - 1940
मीम नून अंसारी
ज़िंदगी से डरते हो!ज़िंदगी तो तुम भी हो ज़िंदगी तो हम भी हैं!
कि औलाद भी दी दिए वालदैनअलिफ़ लाम मीम काफ़ और ऐन ग़ैन
जहाँ-ज़ाद नीचे गली में तिरे दर के आगेये मैं सोख़्ता-सर हसन-कूज़ा-गर हूँ!
यादें पागल कर देती हैंबातें पागल कर देती हैं
शहर के गोशों में हैं बिखरे हुएपा-शिकस्ता सर-बुरीदा ख़्वाब
ख़ुदा-ए-सुख़न कहे जाने वाले मीर तक़ी मीर उर्दू अदब का वो रौशन सितारा हैं, जिन्होंने नस्ल-दर-नस्ल शायरों को मुतास्सिर किया. यहाँ उनकी ज़मीन पर लिखी गई चन्द ग़ज़लें दी जा रही हैं, जो मुख़्तलिफ़ शायरों ने उन्हें खिराज पेश करते हुए कही.
नूनमीम राशिद उर्दू के प्रमुख शायरों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी ख़ूबसूरत और सजावटी शैली से इस विधा को वास्तविक पहचान दी है। इस संग्रह में उनकी कविताओं के चयन के साथ-साथ उन कविताओं की नाटकीय रिकॉर्डिंग भी शामिल है, ताकि आप इन नज़्मों को सुन कर भी लुत्फ़ उठा सकें।
कुल्लियात-ए-राशिद
कुल्लियात
Noon Meem Rashid: Ek Mutala
जमील जालिबी
नज़्म तन्क़ीद
Noon Meem Rashid : Shakhsiyat Aur Fan
मुग़नी तबस्सुम
शायरी तन्क़ीद
Kulliat-e-Rashid
Noon Meem Rashid : Fikr-o-Fan
कँवर अख़लाक़ मोहम्मद ख़ाँ शहरयार
संकलन
मावरा
मक़ालात-ए-नून मीम राशिद
शीमा मजीद
मज़ामीन / लेख
La=Insan
काव्य संग्रह
Meer Taqi Meer Aur Noon Meem Rashid Ki Yad Mein: Shumara Number-018
मोहम्मद फ़ख़रुल हक़ नूरी
बाज़याफ़्त, लाहौर
Bache, Titli, Phool
La Insan
नून मीम रशीद नम्बर: खण्ड-003
शहरयार
शेर-ओ-हिकमत
Hayat-e-Wajhi
जीवनी
नून मीम राशिद नम्बर: शुमारा नम्बर-071-072
ख़ावर जमील
नया दौर, कराची
हयात-ए-वजही
सोचता हूँ कि बहुत सादा-ओ-मासूम है वोमैं अभी उस को शनासा-ए-मोहब्बत न करूँ
ऐ मिरी हम-रक़्स मुझ को थाम लेज़िंदगी से भाग कर आया हूँ मैं
गर्दिश-ए-माह-ओ-साल से आगे निकल गया हूँ मैंजैसे बदल गए हो तुम जैसे बदल गया हूँ मैं
दिन तो ख़ैर गुज़र जाता हैरातें पागल कर देती हैं
तिरा ख़याल बहुत देर तक नहीं रहताकोई मलाल बहुत देर तक नहीं रहता
ऐ जहाँ-ज़ाद,नशात उस शब-ए-बे-राह-रवी की
जहाँ-ज़ादवो हल्ब की कारवाँ-सरा का हौज़, रात वो सुकूत
हसरत-ए-इंतिज़ार-ए-यार न पूछहाए वो शिद्दत-ए-इंतिज़ार न पूछ
रात उस मिस से कलीसा में हुआ मैं दो-चारहाए वो हुस्न वो शोख़ी वो नज़ाकत वो उभार
जहाँ-ज़ाद कैसे हज़ारों बरस बादइक शहर-ए-मदफ़ून की हर गली में
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