aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ",UnkC"
क़ुर्रतुलऐन हैदर
1926 - 2007
लेखक
अना देहलवी
शायर
ऐन इरफ़ान
born.1984
ऐन ताबिश
born.1958
गुलनार आफ़रीन
born.1942
ऐन नक़्वी
born.1987
नूर एन साहिर
born.1997
ऐन सलाम
नफ़ीसा सुल्ताना अंना
ऐन रशीद
1944 - 2000
ऐश शुजाबादी
ऐन सीन
born.1967
कुर्रतुलऐन ख़ुर्रम हाशमी
born.1986
मंजु कछावा अना
born.1973
औन अब्बास औन
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैंसो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं
इक 'उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिर्या से भी महरूमऐ राहत-ए-जाँ मुझ को रुलाने के लिए आ
अपनी महरूमियाँ छुपाते हैंहम ग़रीबों की आन-बान में क्या
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवाअन-गिनत सदियों के तारीक बहीमाना तिलिस्म
बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगेइक 'उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
सबसे प्रख्यात एवं प्रसिद्ध शायर. अपने क्रांतिकारी विचारों के कारण कई साल कारावास में रहे।
रचनाकार की भावुकता एवं संवेदनशीलता या यूँ कह लीजिए कि उसकी चेतना और अपने आस-पास की दुनिया को देखने एवं एहसास करने की कल्पना-शक्ति से ही साहित्य में हँसी-ख़ुशी जैसे भावों की तरह उदासी का भी चित्रण संभव होता है । उर्दू क्लासिकी शायरी में ये उदासी परंपरागत एवं असफल प्रेम के कारण नज़र आती है । अस्ल में रचनाकार अपनी रचना में दुनिया की बे-ढंगी सूरतों को व्यवस्थित करना चाहता है,लेकिन उसको सफलता नहीं मिलती । असफलता का यही एहसास साहित्य और शायरी में उदासी को जन्म देता है । यहाँ उदासी के अलग-अलग भाव को शायरी के माध्यम से आपके समक्ष पेश किया जा रहा है ।
हिज्र मुहब्बत के सफ़र का वो मोड़ है, जहाँ आशिक़ को एक दर्द एक अथाह समंदर की तरह लगता है | शायर इस दर्द को और ज़ियादः महसूस करते हैं और जब ये दर्द हद से ज़ियादा बढ़ जाता है, तो वह अपनी तख्लीक़ के ज़रिए इसे समेटने की कोशिश करता है | यहाँ दी जाने वाली पाँच नज़्में उसी दर्द की परछाईं है |
Taubat-un-Nusuh
डिप्टी नज़ीर अहमद
सामाजिक
Kai Chand The Sar-e-Aasman
रशीद अशरफ़ ख़ान
नॉवेल / उपन्यास तन्क़ीद
Anna Karenina
लेव तालस्तोय
नॉवेल / उपन्यास
Sir Syed Ahmad Khan Aur Unke Namwar Rufaqa
सय्यद अब्दुल्लाह
आलोचना
साख़्तियात: एक तआरुफ़
नासिर अब्बास नय्यर
मज़ामीन / लेख
R-Programming-ek Taaruf
सना रशीद
विज्ञान
Urdu Tanqeed Par Ek Nazar
कलीमुद्दीन अहमद
Baat Se Baat
वासिफ़ अली वासिफ़
शिक्षाप्रद
Dil Dariya Samandar
लेख
Aaina-e-Amliyat
मोहम्मद अज़ीज़ुर्रहमान
इस्लामियात
Seerat-un-Nabi
शिबली नोमानी
जीवनी
Kiran Kiran Sooraj
मार्कसिज़्म एक मुताअला
ज़फर इमाम
Urdu Shairi Par Ek Nazar
शायरी तन्क़ीद
जंग और अम्न
इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिनदेखे हैं हम ने हौसले पर्वरदिगार के
नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हमबिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
वो जो न आने वाला है ना उस से मुझ को मतलब थाआने वालों से क्या मतलब आते हैं आते होंगे
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आयाबात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
हम को उन से वफ़ा की है उम्मीदजो नहीं जानते वफ़ा क्या है
भले दिनों की बात हैभली सी एक शक्ल थी
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमेंऔर हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
एक कबाड़ी के हाथोंतराज़ुओं में तोल कर
हर इक बार अपनी हदें आँक करहर इक बात हद से ज़ियादा करें
खड़े हुए थे पेड़ जड़ों से कट कर भीतेज़ हवा का झोंका आने वाला था
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books