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नज़्म
दोस्ती का हाथ
तुम्हारे देस में आया हूँ दोस्तो अब के
न साज़-ओ-नग़्मा की महफ़िल न शाइ'री के लिए
अहमद फ़राज़
नज़्म
इबलीस की मजलिस-ए-शूरा
आब-ओ-गिल तेरी हरारत से जहान-ए-सोज़-अो-साज़़
अब्लह-ए-जन्नत तिरी तालीम से दाना-ए-कार
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ख़िज़्र-ए-राह
मुझ से कुछ पिन्हाँ नहीं इस्लामियों का सोज़-ओ-साज़
ले गए तसलीस के फ़रज़ंद मीरास-ए-ख़लील
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मस्जिद-ए-क़ुर्तुबा
पैकर-ए-नूरी को है सज्दा मयस्सर तो क्या
उस को मयस्सर नहीं सोज़-ओ-गुदाज़-ए-सजूद
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मजबूरियाँ
मता-ए-सोज़-ओ-साज़-ए-ज़िंदगी पैमाना ओ बरबत
मैं ख़ुद को इन खिलौनों से भी अब बहला नहीं सकता
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ज़ौक़ ओ शौक़
आलम-ए-सोज़-ओ-साज़ में वस्ल से बढ़ के है फ़िराक़
वस्ल में मर्ग-ए-आरज़ू! हिज्र में ल़ज़्जत-ए-तलब!
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
इसी कश्मकश में गुज़रीं मिरी ज़िंदगी की रातें
कभी सोज़-ओ-साज़-ए-'रूमी' कभी पेच-ओ-ताब-ए-'राज़ी'
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
दीदा ओ दिल को सँभालो कि सर-ए-शाम-ए-फ़िराक़
साज़-ओ-सामान बहम पहुँचा है रुस्वाई का