aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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विपुल कुमार
born.1993
शायर
विपुल चतुर्वेदी
लेखक
विनोद विपुल
इक रोज़ खेल खेल में हम उस के हो गएऔर फिर तमाम उम्र किसी के नहीं हुए
हर मुलाक़ात पे सीने से लगाने वालेकितने प्यारे हैं मुझे छोड़ के जाने वाले
उस हिज्र पे तोहमत कि जिसे वस्ल की ज़िद होउस दर्द पे ला'नत की जो अशआ'र में आ जाए
इतना हैरान न हो मेरी अना पर प्यारेइश्क़ में भी कई ख़ुद्दार निकल आते हैं
फ़र्ज़-ए-सुपुर्दगी में तक़ाज़े नहीं हुएतेरे कहाँ से हों कि हम अपने नहीं हुए
Ehsas Ka Safar
शाइरी
Mohammad Rafi
जीवनी
इक दिन तिरी गली में मुझे ले गई हवाऔर फिर तमाम उम्र मुझे ढूँढती रही
जल्द आएँ जिन्हें सीने से लगाना है मुझेफिर बदन और कहीं काम में लाना है मुझे
मुझ से कब उस को मोहब्बत थी मगर मेरे बा'दउस ने जिस शख़्स को चाहा वो मिरे जैसा था
दिलों पे दर्द का इम्कान भी ज़ियादा नहींवो सब्र है अभी नुक़सान भी ज़ियादा नहीं
हमीं ने हश्र उठा रक्खा है बिछड़ने परवो जान-ए-जाँ तो परेशान भी ज़ियादा नहीं
कुछ इस लिए भी तिरी आरज़ू नहीं है मुझेमैं चाहता हूँ मिरा इश्क़ जावेदानी हो
उम्र गुज़री उस का चेहरा देखतेऔर जी लेते तो दुनिया देखते
इस से पहले कि ये आज़ार गवारा कर लेंआ मिरी जान मोहब्बत से किनारा कर लें
दिल भी अजीब ख़ाना-ए-वहदत-पसंद थाइस घर में या तो तू रहा या बे-दिली रही
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