aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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केट सेरेडी
1899 - 1975
लेखक
''अदब अदब कुत्ते तिरे कान काटूँ'ज़रयून' के ब्याह के नान बाटूँ''
लीडर जब आँसू बहा कर लोगों से कहते हैं कि मज़हब ख़तरे में है तो इसमें कोई हक़ीक़त नहीं होती। मज़हब ऐसी चीज़ ही नहीं कि ख़तरे में पड़ सके, अगर किसी बात का ख़तरा है तो वो लीडरों का है जो अपना उल्लू सीधा करने के लिए मज़हब को...
मनहूस समाजी ढाँचों में जब ज़ुल्म न पाले जाएँगेजब हाथ न काटे जाएँगे जब सर न उछाले जाएँगे
रात भर बातें करते हैं तारेरात काटे कोई किधर तन्हा
तुम ने तो थक के दश्त में खे़मे लगा लिएतन्हा कटे किसी का सफ़र तुम को इस से क्या
ख़ामोशी को मौज़ू बनाने वाले इन शेरों में आप ख़ामोशी का शोर सुनेंगे और देखेंगे कि अलफ़ाज़ के बेमानी हो जाने के बाद ख़ामोशी किस तरह कलाम करती है। हमने ख़ामोशी पर बेहतरीन शायरी का इन्तिख़ाब किया है इसे पढ़िए और ख़ामोशी की ज़बान से आगाही हासिल कीजिए।
अहमद फ़राज़ पिछली सदी के प्रख्यात शायरों में शुमार किए जाते हैं। अपने समकालीन में बेहद सादा और अद्वितीय शैली की वजह से उनकी शायरी ख़ास अहमियत की हामिल है। रेख़्ता फ़राज़ के 20 लोकप्रिय और सबसे ज़्यादा पढ़े गए शेर पेश कर रहा है जिसने पाठकों पर जादू ही नहीं किया बल्कि उनके दिलों को मोह लिया । इन शेरों का चुनाव बहुत आसान नहीं था। हम जानते हैं कि अब भी फ़राज़ के बहुत से लोकप्रिय शेर इस सूची में नहीं हैं। इस सिलसिले में आपकी राय का स्वागत है। अगर हमारे संपादक मंडल को आप का भेजा हुआ शेर पसंद आता है तो हम इसको नई सूची में शामिल करेंगे।उम्मीद है कि आपको हमारी ये कोशिश पसंद आई होगी और आप इस सूची को संवारने और आरास्ता करने में हमारी मदद करेंगें ।
हुस्न अदाओं से ही हुस्न बनता है और यही अदाएं आशिक़ के लिए जान-लेवा होती है। महबूब के देखने मुस्कुराने, चलने, बात करने और ख़ामोश रहने की अदाओं का बयान शायरी का एक अहम हिस्सा है। हाज़िर है अदा शायरी की एक हसीन झलक।
Qate Burhan
मिर्ज़ा ग़ालिब
आलोचना
नक़्द क़ाते बुरहान
डाक्टर नज़ीर अहमद
Pahad Kattye Hue
क़ैसर शमीम
काव्य संग्रह
Al-Baraheen-ul-Qate Ala Zalam-ul-Anwar-ul-Satiya
माैलाना रशीद अहमद गंगोही
क़ाते बुरहान मआ रसाइल-ए-मुतअल्लिक़ा
शोध
Jhoot Bole Kawwa Kate
सिब्त अख़्तर
हास्य-व्यंग
क़ाते बुरहान
पत्र
Moondi Kaate
शौकत थानवी
Qate Burhan ka Pehla Musawwada
इम्तियाज़ अली अर्शी
Pakad Dum Kate Ko
अब्दुल वाहिद सिन्धी
Juwari Kutte
नासिर जावेद
Qate-ul-Jaieri
अननोन ऑथर
दरफ़श कावियानी
Burhan-e-Qaate
मौलवी मोहम्म्द हुसैन बुरहान
Qate-e-Burhan
ये गलियों के आवारा बे-कार कुत्तेकि बख़्शा गया जिन को ज़ौक़-ए-गदाई
किस तरह काटे कोई शब-हा-ए-तार-ए-बर्शिगालहै नज़र ख़ू-कर्दा-ए-अख़्तर-शुमारी हाए हाए
कोसते हैं जले हुए क्या क्याअपने हक़ में दुआ करे कोई
मैं बग़ावत चाहता हूँ। हर उस फ़र्द के ख़िलाफ़ बग़ावत चाहता हूँ जो हमसे मेहनत कराता है मगर उसके दाम अदा नहीं करता।...
आप शहर में ख़ूबसूरत और नफ़ीस गाड़ियाँ देखते हैं... ये ख़ूबसूरत और नफ़ीस गाड़ियाँ कूड़ा करकट उठाने के काम नहीं आ सकतीं। गंदगी और ग़लाज़त उठा कर बाहर फेंकने के लिए और गाड़ियाँ मौजूद हैं जिन्हें आप कम देखते हैं और अगर देखते हैं तो फ़ौरन अपनी नाक पर रूमाल...
पहले मज़हब सीनों में होता था आजकल टोपियों में होता है। सियासत भी अब टोपियों में चली आई है। ज़िंदाबाद टोपियाँ।...
दुनिया में जितनी लानतें हैं, भूक उनकी माँ है।...
कटते भी चलो, बढ़ते भी चलो, बाज़ू भी बहुत हैं सर भी बहुतचलते भी चलो कि अब डेरे मंज़िल ही पे डाले जाएँगे
ऐ जान-ए-आरज़ू वो क़यामत से कम न थेकाटे तिरे बग़ैर जो ग़ुर्बत में चार दिन
दिल ऐसी शैय नहीं जो बाँटी जा सके।...
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