aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "اناج"
अना देहलवी
शायर
अनअम शहज़ादी
अंबुज श्रीवास्तो
born.1998
नफ़ीसा सुल्ताना अंना
मंजु कछावा अना
born.1973
अनुज नागेंद्र
born.1976
अन्ना राम सुदामा
लेखक
अनार कली किताब घर, लाहौर
पर्काशक
अना तूल फ़्रांस
अनुज कुमार झा
अब्दुल हमीद अफ़ी अन्हु
अब्दुल्लाह एनान
बाबू राम अनुज सहाए
अना पब्लिकेशन्स, हैदराबाद
अनुज प्रिंटर्स, लखनऊ
हम बाँझ ज़मीन को तकते हैंवो ढोर अनाज की बात करे
“तो मुझ से तो उसका तड़पना और हाथ-पाँव पटकना नहीं देखा जाता।” चमारों का कुनबा था और सारे गाँव में बदनाम। घीसू एक दिन काम करता तो तीन दिन आराम, माधव इतना कामचोर था कि घंटे भर काम करता तो घंटे भर चिलम पीता। इसलिए उसे कोई रखता ही न...
हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी होअगर न हो कहीं ऐसा तो एहतिजाज भी हो
दोष कल की रात और इमरोज़ आजइर्द आटा और ग़ल्ला है अनाज
सात साल गुज़र गए। एक दिन शंकर मज़दूरी कर के लौटा तो रास्ते में पुरोहित जी ने टोक कर कहा, “शंकर कल आके अपने बीज बैंक का हिसाब कर ले। तेरे यहाँ साढे़ पाँच मन गेहूँ कब से बाक़ी पड़े हैं और तू देने का नाम नहीं लेता। क्या हज़्म...
शायरी का एक अहम तरीन काम ये भी होता है कि वह बहुत ख़ामोशी से हमें एक बेहतर इंसान बनने की राह पर लगा देती है। और फिर धीरे धीरे हम ज़िंदगी में हर तरह की नकारात्मकता को नकारने लगते हैं। ‘अम्न’ के इस विषय से हम आपके लिए कुछ ऐसी ही शायरी पेश कर रहे हैं जो आपको हर क़िस्म के ख़तरनाक इंसानी जज़्बात की गिरफ़्त से बचाने में अहम भूमिका अदा कर सकती है। ये शायरी बेहतर इंसान बनने के लिए एक सबक़ भी है और दुनिया में अम्न व शांति क़ायम करने की कोशिश में लगे लोगों के लिए एक छोटी सी गाइड बुक भी। आप इसे पढ़िए और इसमें मौजूद पैग़ाम को आम कीजिए।
क्लासीकी शायरी में मौजूद इश्क़ की कहानी में जो चंद बुनियादी किरदार हैं उन में एक चारागर भी है। यह चारागर कभी महबूब होता है, कभी मसीहा तो कभी वह सीधा-सादा इन्सान जो इश्क़ के मरीज़ का इलाज भी अपने आ’म नुस्ख़ों और अन्दाज़ से शानासाई के लिए पेश है चारागर शायरी से यह इन्तिख़ाबः
अनाजاناج
grain, corn
Homeopathic
डॉ. रेकवेग
होम्योपैथी
अनार कली
सय्यद इम्तियाज़ अली ताज
रोमांनवी
इलाज-उल-ग़ुरबा
औषिधि
Urdu Drama Aur Anarkali
सय्यद हैदर अब्बास रिज़वी
नाटक इतिहास एवं समीक्षा
Amraz-o-Ilaaj
अननोन ऑथर
तिब्ब-ए-यूनानी
Bimariyan Aur Unka Nabatati Ilaj
हकीम राहत नसीम सोहदरवी
औषधि
इलाज-उल-अमराज़ उर्दू
हादी हसन
Anarkali
Jadeed Dastoor-e-Ilaj
हकीम ग़ुलाम नबी
Jinsi Amraz Ka Ilaj
हकीम मोहम्मद हसन करशी
Sahet Hamdard Ke Sath Bimariyan Aur Ilaj
अनार का मज़ा
जय श्री पांडे
बाल-साहित्य
Mardana Jinsi Amraz Ka Ilaj
हकीम अजमल ख़ाँ
ड्रामे का फ़न और अनारकली
मोहम्मद सिबग़तुल्लाह
आलोचना
जिस रोज़ उस मोहलिक इनाद की इब्तिदा हुई उसी रोज़ से बुद्धू ने उस तरफ़ आना तर्क कर दिया था। झींगुर ने उस से रब्त-ज़ब्त बढ़ाना शुरू किया। वो बुद्धू को दिखलाना चाहता था कि तुम पर मुझे ज़रा भी शक नहीं है। एक रोज़ कम्बल लेने के बहाने गया,...
जीनां ने अपनी मेहंदी में रची हुई उंगली दाँतों तले दबा कर और ज़रा शर्मा कर सिर्फ़ इतना कहा, “कीमे, तुझे तो किसी से भी डर नहीं लगता।” करीम दाद ने अपनी हल्की हल्की स्याही माइल भूरी मूंछों पर ज़बान की नोक फेरी और मुस्कुरा दिया, “डर भी कोई लगने...
एक डिब्बे में चार हिंदू ब्राह्मण सवार हुए। सर घुटा हुआ, लंबी चोटी, राम-नाम की धोती बाँधे, हरिद्वार का सफ़र कर रहे थे। यहाँ हर डिब्बे में आठ दस सिख और जाट भी बैठ गए, ये लोग राइफ़लों और बल्लमों से मुसल्लह थे और मशरिक़ी पंजाब में शिकार की तलाश...
सच नहीं है अनाज की क़िल्लतयार फ़ाक़े यहाँ ज़मीर के हैं
माँ ने तो उसे लिपटा लिया मगर बाप आया तो उसे बाज़ू से पकड़ कर बाहर सेहन में ले गया और बोला, “चाहे पटवारी की तीन बीवियाँ और हों, तुम्हें उसीके साथ ज़िंदगी गुज़ारनी है। तुमने अपनी मर्ज़ी की शादी की है, हमारे लिए यही बे-इज़्ज़ती बहुत है। अब यहाँ...
ये गुस्ताख़ी कर के किसी दूसरे मौक़े पर भला भंगन सलामत रहती। सर के बाल उखाड़ लिए जाते लेकिन आज बाबू साहब हँसे और क़हक़हा मार कर बोले, “भंगन बात बड़े पते की कहती है।” भंगन की हुकूमत साल भर तक क़ायम रही। फिर छिन गई। बच्चे का दूध छुड़ा...
बीर बजरंगी का नाम ले कर सब बाहर की चारदीवारी वाले दरवाज़े में से निकल कर गली में आ गए और फिर दाएँ तरफ़ मुड़ कर अपने खेत की तरफ़ बढ़ने लगे। गाँव की गलियों गलियारों में चहल पहल शुरू’ हो चुकी थी। लोग खेतों को आ जा रहे थे।...
“अजी सरकार! इस तरह व्यपार हो चुका। न असल में से न सूद में से, पहला ही ढाई हज़ार वसूल नहीं हुआ। छः सौ छप्पन सूद के हो गए हैं।” मिर्ज़ा ग़ालिब ने हुक़्क़े की नय पकड़ कर एक कश लिया, “लाला, जिस दरख़्त का फल खाना मंज़ूर होता है,...
दूसरे दिन भी फ़ाइल चलती रही। शाम को जवाब भी आ गया। “हम इस मामले को हॉर्टीकल्चरल डिपार्टमेंट के सुपुर्द कर रहे हैं क्योंकि यह एक फलदार दरख़्त का मामला है और एग्रीकल्चरल डिपार्टमेंट सिर्फ़ अनाज और खेतीबाड़ी के मामलों में फ़ैसला करने का मजाज़ है। जामुन का पेड़ एक...
एफ़.बी. पटाख़ा 10 अगस्त...
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