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ग़ज़ल
बा'द सय्यद के मैं कॉलेज का करूँ क्या दर्शन
अब मोहब्बत न रही इस बुत-ए-बे-पीर के साथ
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
दिल-ए-सीपारा को ले टाँक तावीज़ों में हैकल के
न सरका ये हमाइल ऐ बुत-ए-बे-पीर पहलू से
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
ख़ुदा शाहिद है इस का फिर नहीं मिलती नहीं मिलती
तबीअ'त अपनी जिस से ओ बुत-ए-बे-पीर फिरती है
मुनव्वर ख़ान ग़ाफ़िल
ग़ज़ल
याद आयेगा ख़ुदा उस को मिरे मरने के बाद
मैं तो ईमाँ ले के डूबूँगा बुत-ए-बे-पीर का
ख़िज़्र नागपुरी
ग़ज़ल
सोहान-ए-रूह उस का तग़ाफ़ुल हुआ करे
हर जान-ए-जाँ है उस बुत-ए-बे-पीर का ख़याल