aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "بدمزاج"
आसमान पर काली घटाएँ छाई हुई थीं और हल्की हल्की फुवारें पड़ रही थीं। दिल्ली स्टेशन पर ज़ाइरीन का हुजूम था। कुछ गाड़ियों में बैठे थे। कुछ अपने घर वालों से रुख़्सत हो रहे थे। चारों तरफ़ एक कोहराम सा मचा हुआ था। दुनिया उस वक़्त भी जाने वालों के...
झींगुर, "क्यों न ऐंठे? इस गांव में कौन है उसके टक्कर का? पर यार ये अन्याय तो नहीं देखा जाता। जब भगवान दें तो सर झुका कर चलना चाहिए ये नहीं कि अपने बराबर किसी को समझे ही नहीं। इसको मोइंग सुनता हूँ तो बदन में आग लग जाती है...
راجو خاموش رہی، اس پر ابھی تک سعید کی گرفت اور اس کے خوفناک بوسے کا اثر تھا۔ وہ اٹھ کر کمرے سے باہر جانے کا ارادہ ہی کر رہی تھی کہ اس نے پھر ہذیانی کیفیت میں بڑبڑا نا شروع کر دیا۔ راجو نے اس کی طرف دھڑکتے ہوئے...
सुधा बड़ी तुर्शरोंई से बोली, "हाँ, मेरे बाप का नाम भी फाईल में लिखा गया है, फिर मुझसे पूछने की ज़रूरत क्या है?" वो तक़रीबन उठते उठते बोली। "बैठो बैठो..." मैनेजर ने फिर उसकी मिन्नत करते हुए कहा।...
دس سال سے یعنی جس دن سےمیری شادی ہوئی ہے، یہی ایک سوال بار بارکسی نہ کسی صورت میں ہمارے سامنے دہرایا جاتا ہے، آپ کے ہاں بچّہ کیوں نہیں ہوتا؟ یہ کوئی نہیں پوچھتا کہ آپ کے ہاں روٹی ہے؟ گھر ہے؟ روزگار ہے؟ خوشی ہے؟ عقل ہے؟ سب...
बद-मिज़ाजبد مزاج
ill-tempered, ill-natured, peevish
बुरी प्रकृति का, गुस्सैल, चिड़चिड़े स्वभाव का
Qissa-e-Bad-Mizaj Ka Sar Karna
एहसानउल्लाह चिरियाकोटी
मुंशी नवल किशोर के प्रकाशन
Sharif Badmash
मार्स लिब्लांक
Badmash Mahant
ज्योतिष
Langda Badmash
मुंशी तीरथ राम फ़िरोज़पुरी
रियाज़ुद्दीन रियाज़
Shareef Badmash
Munahij-ul-Nabuwat Tarjuma Madarij-ul-Nabuwat
अब्दुल मजीद
“ऐसा मैंने क्या कह दिया।” “तुमने क्या कहा... और ऊपर से ये भी पूछने की हिम्मत है, तुम उस की मौत पर हंस रही हो, उस का ख़ून हो रहा है। तुम हंस रही हो। वो मुर्ग़-ए-बिस्मिल हो रही है और तुम हंस रही हो... उसकी लाश... हाँ उस की...
स्कूल में पढ़ता था तो शहर का हसीन तरीन लड़का मुतसव्वर होता था। उस पर बड़े बड़े अमरद परस्तों के दरमियान बड़ी ख़ूँख़्वार लड़ाईयां हुईं। एक दो इसी सिलसिले में मारे भी गए। वो वाक़ई हसीन था। बड़े मालदार घराने का चश्म-ओ-चराग़ था, इसलिए उसको किसी चीज़ की कमी नहीं...
चैत का महीना निस्फ़ से ज़्यादा गुज़र चुका था। चन शाह वली के उर्स की तारीख़ क़रीब आ रही थी। चूँकि ये उर्स ऐसे ज़माने में होता जब देहाती फ़सल की कटाई से फ़ारिग़ हो चुके होते और अपनी मेहनतों का सिला पाकर ख़ुशहाली की एक हल्की सी झलक उनकी...
मौलवी अहमद हसन साहब “अहसन उल तफ़ासीर” मौलवी नज़ीर अहमद के ख़्वेश थे। एक दिन मौलवी नज़ीर अहमद के हाँ बैठे हुए थे। मौलवी अहमद हसन ने देखा कि डिप्टी साहब की कोहनियाँ बहुत मैली हो रही हैं और उन पर मैल की एक तह चढ़ी हुई है। मौलवी साहब...
उसे वहीद के मज़ाक़ पर रोना आने लगा... और जब उसने सिर्फ उसे हंसाने के लिए क़ब्र की आग़ोश में सो जाने की धमकी दी तो वो बदमिज़ाज चुड़ैलों की तरह उस की जान को आ गई। उसने साफ़ साफ़ गालियाँ और ज़लील कोसने देना शुरू किया कि वाक़ई कुबरा...
اس مثل کی طرح ایک اور فارسی تلمیحی مثل اردو میں مستعمل ہے۔ گر بہ کشتن روز ازل۔ اس مثل کا مطلب یہ ہے کہ رعب پہلے ہی دن جمانا چاہئے۔ کہتے ہیں دو دوستوں نے ایک ساتھ شادی کی۔ دونوں کی بیویاں بدمزاج نکلیں۔ ایک کی بیوی خاوند پر...
इसकी पुख़्त-ओ-पज़ की एक ख़ुसूसियत ये है कि इसे सारी रात पकाया जाता है और पकने की हालत में हमा-वक़्त इसका ताव मुसावी रखा जाता है। इस काम के लिए बड़ी मश्क़-ओ-महारत की ज़रूरत है। तीसरे पहर से इसकी तैयारी शुरू’ होती है। दुकान की दहलीज़ के पास ज़मीन में...
غالب کی طلسمی دنیا کے مکمل ہونے یعنی معنی خیز ہونے سے میری کیا مراد ہے، اس کی وضاحت شاید چنداں ضروری نہ ہو۔ پھر بھی مثال کے طور پر کسی جنوں پر یوں والی کہانی کا تصور کیجئے۔ ایک بدمزاج پری جو بادشاہ سے ناراض ہے، شہزادی کی شادی...
وہ اندھیری سڑکوں پر پڑے ہوئے شرابیوں کو اٹھاتا۔ اس کا انداز کچھ ایسا ہوتا جیسے کسی بدمزاج ماں کو چھوٹے چھوٹے بچوں پر رحم آجائے۔۔۔ وہ ایسی شائستگی سے چلتا جیسے کوئی چھوٹی سی لڑکی گرجا جا رہی ہو۔۔۔ وہ ایسے بنتا جیسے تجارت، فن طب ہر چیز اسے...
बुढ़िया ने अपनी मरने वाली बहन की लड़की को भी अपने पास रख लिया था। बेचारी बे-घर बे-बस... सारे दिन ख़ाला की ख़िदमत में लगी रहती। बहन के नकतोड़े उठाती, जब कहीं रूखी-सूखी मयस्सर आती।...
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