aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "بوتل"
जॉन डब्ल्यू बूथ
संपादक
बोल सम्राट पुर्नादास
लेखक
श्री आर. बोकल
पर्काशक
आवाज़ शिकस्ता जामों कीकुछ टुकड़े ख़ाली बोतल के
सुल्ताना ने उनमें से पाँच आदमियों को अपना रेट दस रुपये बताया था मगर तअज्जुब की बात है कि उनमें से हर एक ने यही कहा, “भई हम तीन रुपये से एक कौड़ी ज़्यादा न देंगे।” न जाने क्या बात थी कि उनमें से हर एक ने उसे सिर्फ़ तीन...
ये दिल की तिश्नगी है या नज़र की प्यास है साक़ीहर इक बोतल जो ख़ाली है भरी मालूम होती है
“तो कोई हल्का सा कफ़न ले-लें।” “हाँ और क्या! लाश उठते-उठते रात हो जाएगी। रात को कफ़न कौन देखता है।”...
मेरी और उन आँखों की मुलाक़ात एक हस्पताल में हुई। मैं उस हस्पताल का नाम आपको बताना नहीं चाहता, इसलिए कि इससे मेरे इस अफ़साने को कोई फ़ायदा नहीं पहुंचेगा। बस आप यही समझ लीजिए कि एक हस्पताल था, जिसमें मेरा एक अज़ीज़ ऑप्रेशन कराने के बाद अपनी ज़िंदगी के...
फ़िल्म और अदब में हमेशा से एक गहरा तअल्लुक़ रहा है ,अगर बात हिन्दुस्तानी फ़िल्मों की हो तो उनमें इस्तिमाल होने वाली ज़बान, डायलॉगज़ , स्क्रीन राईटिंग और नग़मो में उर्दू का हमेशा से बोल-बाला रहा है जो अब तक जारी है। आज इस कलेक्शन में हमने राजा मेहदी ख़ान के कुछ मशहूर नग़्मों को शामिल किया है । पढ़िए और क्लासिकल गानों का लुत्फ़ लीजिए।
बोतलبوتل
bottle
Arabi Bol Chal
मोहम्मद अमीन
भाषा विज्ञान
Meethe Bol Mein Jadu Hai
डेल कार्नेगी
अनुवाद
Nai Tahzeeb Ki Botal Ka Kaak
ख़्वाजा हसन निज़ामी
व्याख्यान
Saraiki, Urdu, Angrezi Bol Chal
आसिमा ज़ुहूर
संकलन
Farsi Bolchal
मोहम्मद उबैदुल्लाह
शब्द-कोश
Ek Karod Ki Botal
कृष्ण चंदर
रोमांटिक
सुरीले बोल
अज़मतुल्लाह ख़ाँ
नज़्म
अबदुर्रहमान अमृतसरी
भाषा
Kulliyat-e-Nabz Wa Bol-o-Baraz
सय्यद हबीबुर्रहमान
औषधि
Kachche Bol
ज्ञान चंद जैन
काव्य संग्रह
Turki Bol Chaal
महबूब आलम
Qurani Bol Chal
Aasan Aur Mukammal Urdu Sindhi Bol Chal
अली मोहम्मद बलोच
Khwar Bol Chal
इनायतुल्लाह फ़ैज़ी
क्या ग़म-ए-दुनिया का डर मुझ रिंद कोऔर इक बोतल चढ़ा ली जाएगी
एक शाम मिर्ज़ा को शराब न मिली तो नमाज़ पढ़ने चले गये। इतने में उनका एक शागिर्द आया और उसे मालूम हुआ कि मीरज़ा को आज शराब नहीं मिली, चुनांचे उसने शराब का इंतिज़ाम किया और मस्जिद के सामने पहुंचा। वहाँ से मीरज़ा को बोतल दिखाई। बोतल देखते ही मीरज़ा...
जब वो बोहनी करती थी तो दूर से गणेश जी की उस मूर्ती से रुपये छुवा कर और फिर अपने माथे के साथ लगा कर उन्हें अपनी चोली में रख लिया करती थी। उसकी छातियां चूँकि काफ़ी उभरी हुई थीं इसलिए वो जितने रुपये भी अपनी चोली में रखती महफ़ूज़...
ख़ुद अपनी मस्ती है जिस ने मचाई है हलचलनशा शराब में होता तो नाचती बोतल
हमें पीने से मतलब है जगह की क़ैद क्या 'बेख़ुद'उसी का नाम जन्नत रख दिया बोतल जहाँ रख दी
शिरकत गुनाह में भी रहे कुछ सवाब कीतौबा के साथ तोड़िए बोतल शराब की
हर वक़्त इक ख़ुमार था हर दम सुरूर थाबोतल बग़ल में थी कि दिल-ए-ना-सुबूर था
सामने वाली बिल्डिंग का एक कमरा... ये कमरा पुरतकल्लुफ़ तरीक़े से सजा हुआ है। एक लड़की और एक लड़का जिसकी उम्र में तक़रीबन दो बरस का फ़र्क़ है, लड़की छः बरस की और लड़का आठ बरस का है। दोनों अपने बाप के पास बैठे हैं और उससे खेल रहे हैं।...
“अच्छा जी!” ये कह कर बशीर चला गया। नाश्ता बेहद लज़ीज़ था ख़ासतौर पर मच्छी के टुकड़े। उसने खाना शुरू करने से पहले बशीर के ज़रिये से उस बर्मी लड़की को बुला भेजा मगर वो न आई। बशीर ने कहा, “जी वो कहती हैं कि बाद में करेंगी वो नाश्ता।”...
आसमाँ तेरी चाल किया जाने ये शे’र गाने की ख़ास वजह ये थी। इस चोबी मकान के रहने वाले इस ग़लतफ़हमी में मुब्तला थे कि मेरे और वज़ीर के तअ’ल्लुक़ात अख़लाक़ी नुक़्त-ए-निगाह से ठीक नहीं, हालाँकि वो अख़लाक़ के मआ’नी से बिल्कुल नाआशना थे। ये लोग मुझ से और शब्बीर...
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