aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ترجمانی"
इदारा तालीफ़-ओ-तर्जुमा जामिआ पंजाब, लाहौर
पर्काशक
इदारा-ए-तस्नीफ़-ओ-तालीफ़-ओ-तर्जुमा, कराची
इदारा तरजुमान-उस-सुन्नह, लाहौर
इदारा तर्जुमान-उत-तिब, लाहौर
सय्यद मोहम्मद तेजानी समावी
लेखक
बंगाह तरजुमा व नश्र किताब
उमर तल्समानी
इस्कंदर बेग तुर्कमान
मकतबा तरजुमा कुरआन नाला रोड
मकतबा तर्जुमान, उर्दू बाज़ार, दिल्ली
तरजुमान-उल-क़ुरान, दिल्ली
इदारा तरजुमा-ओ-तालीफ़, कोलकाता
दफ़तर तरजुमानुल क़ुरान, मुलतान
इदारा तरजुमान-उल-क़ुरआन, लाहौर
मजलिस-ए-तरजुमा, लाहाैर
ऐ लब-ए-नाज़ क्या हैं वो असरारख़ामुशी जिन की तर्जुमानी है
उसके वालिदैन नादार थे। इसलिए वो सेशन की अदालत में अपील न कर सके। महमूद सख़्त परेशान था कि आख़िर उसका क़ुसूर क्या है। उसको अगर एक लड़की पसंद आ गई थी और उसने उससे चंद बातें करना चाहीं तो ये क्या जुर्म है, जिसकी पादाश में वो दो माह...
बक रहा हूँ जुनूँ में क्या-क्या कुछ कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई...
वो गाना जिस में हाल-ए-दिल की पूरी तर्जुमानी होमगर ये शर्त है भरपूर दोनों की जवानी हो
वो एक दिन जो तुझे सोचने में गुज़रा थातमाम उम्र उसी दिन की तर्जुमानी है
रूसी साहित्य का उर्दू में अनुवाद यहाँ पढ़े.
गाँधी जी की अनुवादित पुस्तकों का संग्रह यहाँ तलाश करें
पंजाबी की एक समृद्ध साहित्यिक परंपरा है जिसे हम सभी पसंद करते हैं। यहाँ कुछ लोकप्रिय पंजाबी कवियों की बेहतरीन अनूदित कविताओं का संग्रह दिया जा रहा है। आशा है कि आप को पसंद आएगा।
Dr. Allama Iqbal Ke Shikwa, Jawab-e-Shikwa Ki Nasri Tarjumani
अल्लामा इक़बाल
शायरी तन्क़ीद
Sara-e-Maula
मोईन निज़ामी
Kalam-e-Rabbani Ki Manzoom Tarjumani
मक़सूद अहमद मक़सूद
नात
Tarjumani-e-Quran
इस्लामियात
वर्ल्ड क़ुरान सुसाइटी
Tarjumani-e-Quran Para-19-20
Iqbal Ki Tarjumani
जावेद इक़बाल
इक़बालियात तन्क़ीद
Tarjuma-e-Tuzuk-e-Babri Urdu
ज़हीरुद्दीन बाबर
इतिहास
फ़न-ए-तर्जुमा निगारी
ख़लीक़ अंजुम
मज़ामीन / लेख
Angrezi Adab Ki Mukhtasar Tareekh
मोहम्मद यासीन
समीक्षा / शोध
किताब-उल-हिन्द
अबू रेहान अल-बैरूनी
दर्शन / फ़िलॉसफ़ी
फ़ल्सफ़-ए-मग़रिब की तारीख़
बर्ट्रैंड रसल
Heer Waris Shah
सय्यद वारिस शाह
शायरी
बात कहाँ से कहाँ जा पहुंची। वर्ना सर-ए-दस्त मुझे उन ख़ुशनसीब जवाँ मर्गों से सरोकार नहीं जो जीने के क़रीने और मरने के आदाब से वाक़िफ़ हैं। मेरा ताल्लुक़ तो उस मज़लूम अक्सरियत से है जिसको बक़ौल शायर, जीने की अदा याद, न मरने की अदा याद...
बस उसी की तर्जुमानी है मिरे अशआ'र मेंजो सुकूत-ए-राज़ रंगीं दास्ताँ बनता गया
बात कह दी तो बात कुछ न रहीग़म हुआ ग़म की तर्जुमानी से
ابھی اقبالؔ کے خلاف اعتراضات ختم نہیں ہوتے۔ اختر حسین رائے پوری اپنے مضمون ’’ادب اور زندگی‘‘ (مطبوعہ رسالہ اردو جولائی ۳۵ء) میں فرماتے ہیں۔ ’’اقبال فاشسطینت کا ترجمان ہے اور یہ در حقیقت زمانہ حال کی جدید سرمایہ داری کے سوائے کچھ نہیں۔ تاریخ اسلام کا ماضی اقبالؔ کو...
कहीं कहीं ये मोहब्बत भी ग़ैर-फ़ानी हैजहाँ ख़याल हक़ीक़त की तर्जुमानी है
हथकड़ियां हैं और वो नंग-ए-इंसानियत बेड़ियाँ… मैं क़ानून का ये ज़ेवर पहन चुका हूँ।” ये कह कर रिज़वी ने मेरी तरफ़ देखा और मुस्कुराया। उसके मोटे मोटे हब्शियों के से होंट अ’जीब अंदाज़ में फड़के। उसकी छोटी छोटी मख़मूर आँखें, जो क़ातिल की आँखें लगी थीं चमकीं। हम सब चौंक...
فیض گلشن میں وہی طرز بیاں ٹھہری ہے تخلیق کا راستہ جس طرح پر پیچ اور پراسرار ہے، اسی طرح تنقید میں بھی شعری اہمیت کی گرہیں کھولنا نہایت دشوار اور دقت طلب ہے۔ ہر بڑی شاعری دراصل اپنا پیمانہ خود ہوتی ہے۔ بڑا شاعر یا تو کسی روایت کا...
سیاسیات سے براہ راست حضرت اکبر کو کوبھی دلچسپی نہیں رہی، نہ ان کا یہ فن، نہ اس موضوع سے انہیں کوئی خاص مناسبت لیکن تھے پورے مشرقی، اور مشرقی سے بھی بڑھ کر پکے مذہبی۔ اور دل و دماغ نہایت درجہ حساس، اس لئے مذہب کی توہین اور مشرقیت...
ज़बान-ए-तख़्लीक़-ए-दहर से भी न जिस का इज़हार हो सका थानुमूद तेरी उसी मुक़द्दस हसीं तख़य्युल की तर्जुमानी
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