aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "دلی"
दिल शाहजहाँपुरी
1875 - 1959
शायर
दिल अय्यूबी
born.1929
नवाब उमराव बहादूर दिलेर
1873 - 1926
लेखक
अब्दुर्रज़्ज़ाक़ दिल
born.1943
दिल सिकन्दरपुरी
born.1993
अजीत कुमार दिल
रतन पंडोरवी
1907 - 1990
अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू (हिन्द), देहली
पर्काशक
ग़ालिब अकेडमी, देहली
मकतबा जामिया लिमिटेड, नई दिल्ली
डायरेक्टर क़ौमी कौंसिल बरा-ए-फ़रोग़-ए-उर्दू ज़बान, नई दिल्ली
साहित्य अकादमी, दिल्ली
हिन्द पाँकेट बुक्स, दिल्ली
ख़्वाजा दिल मोहम्मद
1887 - 1961
सय्यद अमीर हसन मारहरवी दिलेर
बे-दिली क्या यूँही दिन गुज़र जाएँगेसिर्फ़ ज़िंदा रहे हम तो मर जाएँगे
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाममुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं
कभी ये हाल कि दोनों में यक-दिली थी बहुतकभी ये मरहला जैसे कि आश्नाई न थी
तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हमठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम
मैं भी इज़्न-ए-नवा-गरी चाहूँबे-दिली भी तो लब हिलाती है
ऐसी पुस्तकों का इंतिख़ाब जिसमें हर युग की दिल्ली सांस ले रही है।
लखनऊ भी एक शहर है जो दिल्ली की तरह आलम में इन्तिख़ाब तो नहीं लेकिन अपनी तहज़ीबी, सक़ाफ़ती और तारीख़ी ख़ुसूसियात की बिना पर एक इम्तियाज़ी मक़ाम रखता है। शायरों ने लखनऊ को उस की इन्हीं ख़ुसूसियात की बिना पर शायरी में ख़ूब बर्ता है। कोई उस की शामों को याद करता है तो कोई उस की अदबी महफ़िलों का तज़्किरा करता है और कोई उस के दरबारों की रंगीनी का असीर है। हम लखनऊ को मौज़ू बानाने वाले चंद शेरों को आप के लिए पेश कर रहे हैं।
दिल्ली हिन्दुस्तान के आसमान का एक चमकदार सितारा होने के साथ-साथ पुरानी शान-ओ-शौकत और गंगा-जमुनी तहज़ीब का मर्कज़ भी है। इसके गली-कूचे इतिहास की बेरहम सच्चाइयों के गवाह रहे हैं। यहीं के शायरों ने अपने कलाम में दिल्ली का ज़िक्र जिस जज़्बाती अन्दाज़ में किया है वह पढ़ने से ज़्यादा महसूस करने की शय है। दिल्ली शायरी इसके माज़ी और हाल की ऐसी तस्वीर है जो उर्दू शायरी के सिवा कहीं और नहीं मिल सकती। पेश है यह झलकः
दिल्लीدلی
Delhi, Capital of India
दिलीدلی
hearty, cordial
Dilli Ka Dabistan-e-Shairi
नूरुल हसन हाशमी
शायरी तन्क़ीद
Dilli Jo Ek Shahar Tha
शाहिद अहमद देहलवी
मज़ामीन / लेख
इंतिख़ाब / संकलन
दिल्ली की चन्द अजीब हस्तियाँ
अशरफ़ सबूही
गद्य/नस्र
Dilli Ka Phera
मुल्ला वाहिदी देहलवी
सफ़र-नामा / यात्रा-वृतांत
1857 Ki Dilli
महेश्वर दयाल
ऐतिहासिक
आलम में इंतिख़ाब दिल्ली
भारत का इतिहास
Dilli Ke Bais Khwaja
ज़हूरुल हसन शारिब
तज़किरा
Dilli Tareekh Ke Aaine Mein
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
Zindagi Zindan Dili Ka Naam Hai
ज़फ़रुल्लाह पोशनी
संकलन
Dilli Ki Chand Ajeeb Hastiyan
Ghalib Ke Zamane Ki Dilli
अब्बास बरनी
सन सत्तावन की दिल्ली और बहादुर शाह ज़फ़र
असलम परवेज़
Mere Zamane Ki Dilli
लेख
दिल्ली कॉलेज तारीख़ और कारनामे
डॉ. अब्दुल वहाब
शोध
मुझ से तू पूछने आया है वफ़ा के मा'नीये तिरी सादा-दिली मार न डाले मुझ को
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
ईज़ा-दही की दाद जो पाता रहा हूँ मैंहर नाज़-आफ़रीं को सताता रहा हूँ मैं
एक ज़िंदान-ए-बे-दिली और शामये सबा सी कहाँ से आती है
हम हैं रुस्वा-कुन-ए-दिल्ली-ओ-लखनऊ अपनी क्या ज़िंदगी अपनी क्या आबरू'मीर' दिल्ली से निकले गए लखनऊ तुम कहाँ जाओगे हम कहाँ जाएँगे
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो हैलम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखाकश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा
ज़ुल्म के दौर से इकराह-ए-दिली काफ़ी हैएक ख़ूँ-रेज़ बग़ावत हो ज़रूरी तो नहीं
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