aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "زبیرؔ"
ज़ुबैर अली ताबिश
born.1987
शायर
ज़ुबैर रिज़वी
1935 - 2016
ज़ुबैर क़ैसर
born.1975
ज़ुबैर फ़ारूक़
born.1956
नासिरा ज़ुबेरी
ज़ुबैर अहमद तन्हा मलिक रामपुरी
born.1998
जुबैर आलम
born.1989
ज़ुबैर अमरोहवी
अली ज़ुबैर
ज़ुबैर बहादुर जोश
लेखक
ज़ुबैर शिफ़ाई
born.1944
ज़ुबैर इर्तज़ा
ज़ुबैर अहमद सानी
ज़ुबैर हमज़ा
born.2001
मोहम्मद ज़ुबैर रूही इलाहाबादी
शाम की दहलीज़ पर ठहरी हुई यादें 'ज़ुबैर'ग़म की मेहराबों के धुँदले आईने चमका गईं
महाज़-ए-इश्क़ पे ख़ुद ही शिकस्त मानी है'ज़ुबैर' दिल पे हुआ है किसी का राज पसंद
हम ने पाई है उन अशआर पे भी दाद 'ज़ुबैर'जिन में उस शोख़ की तारीफ़ के पहलू भी नहीं
ग़म तो ग़म ही रहेंगे 'ज़ुबैर'ग़म के उनवाँ बदल जाएँगे
Tareekh-e-Jhang
बिलाल जुबैरी
Muslim Khawateen Ki Taleem
मोहम्मद अमीन ज़ुबेरी
एजुकेशन / शिक्षण
Tazkira Auliya-e-Jhang
तज़किरा
Radio Nashriyyat: Tareekh, Asnaaf Aur Peshkash
ज़ुबैर शादाब
पत्रकारिता
Gujrat Ke Mashaheer Ulama
मोहम्मद ज़ुबैर क़ुरैशी
तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी
Radio, Television, Tareekh, Asnaf Aur Takneek
Aazadi Ke Baad Punjab Men Urdu Ghazal
सलीम ज़ुबैरी
शायरी तन्क़ीद
Urdu: Funoon Aur Adab
मज़ामीन / लेख
गर्दिश-ए-पा
Islami Kutub Khanon Ki Sair
मोहम्मद ज़ुबैर
कैटलॉग / सूची
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काव्य संग्रह
Haqeeqat Qaum-e-Kambooh Aur Khandan-e-Zubairi Kanbawi
महमूद अहमद अब्बासी
भले हो कार-ए-मोहब्बत या कार-ए-दुनिया 'ज़ुबैर'हमारे साथ हमेशा ख़सारे जाते हैं
जो छू के देखिए तो ज़िंदगी नहीं मिलती'ज़ुबैर' किस लिए बे-कार साँस लेते हैं
ये मिरा अपना तख़य्युल है 'ज़ुबैर'ये ग़ज़ल सब ने उठाई हुई है
मैं बुज़ुर्गों के साए में हूँ 'ज़ुबैर'बारिशें हो रही हैं रहमत की
सलमा सिद्दीक़ी से कृश्न चंदर की शादी एक ‘अर्से तक मौज़ू’-ए-गुफ़्तगू और मसला-ए-बहस बनी रही। हमारी सरहद के उस पार तो एक हंगामा खड़ा हो गया। वहाँ जो कुछ लिखा गया, मैंने नहीं देखा, लेकिन वहाँ के एक रिसाले शायद “अदब-ए-लतीफ़” में उन्हीं दिनों कृश्न चंदर का एक ख़त छपा...
अजीब सी कोई ख़्वाहिश थी टूटने की 'ज़ुबैर'मैं आईना था मगर संग से न कह पाया
हवा में हिलते हुए हाथ पूछते हैं 'ज़ुबैर'तुम अब गए तो कब आओगे छुट्टियाँ ले कर
पड़े हैं बंद सभी ज़ीने उन छतों के 'ज़ुबैर'जहाँ जहाँ से तिरा घर दिखाई देता है
ग़म तो ग़म ही रहेंगे 'ज़ुबैर'ग़म के 'उनवाँ बदल जाएँगे
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