aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "شربت"
शरत चन्द्र चट्रजी
लेखक
शरत चंद्र
शिरकत इनतेशारात इल्मी-ओ-फरहंगी
पर्काशक
शिर्कत सिहामी, तहरान
शिर्कतुल इस्लाम प्रेस, हैदराबाद
मतबा शिरकत कावियानी, बर्लिन
शिरकत अदबीया, दिल्ली
शिरकत अदबीया, अलीगढ़
मक्तबा शिरकत, मुलतान
शिरकत प्रेस, लाहौर
शिरकत प्रिंटिंग प्रेस, लाहौर
शिरकत इलमी लिमिटेड, लाहौर
शिरकत-ए-अदबिया, लाहौर
शिर्कत कुतुबे-दर्सी, तेहरान
शिरकत-ओ-राफ़्त, दकन
शर्बत पे कौन देवेगा प्यासे का फ़ातिहाबोले नबी कि आप को ज़ेहरा न कर हलाक
आशिक़ को देखते हैं दुपट्टे को तान करदेते हैं हम को शर्बत-ए-दीदार छान कर
एक दिन एक देहाती बुढ़िया जो पास के किसी गाँव में रहती थी, इस बस्ती की ख़बर सुन कर आ गई। उसके साथ एक ख़ुर्द साल लड़का था। दोनों ने मस्जिद के क़रीब एक दरख़्त के नीचे घटिया सिगरेट, बीड़ी, चने और गुड़ की बनी हुई मिठाईयों का ख़्वाँचा लगा...
अज़ीज़: हुज़ूर तकलीफ़ न कीजिए। हम सिर्फ़ थोड़ी देर के लिए उतर पड़े थे। रेल का वक़्त बिल्कुल क़रीब है। बग्घी सराय में खड़ी है, अस्बाब बंधा हुआ रखा है। आपसे मिलने को आए थे, अब इजाज़त चाहते हैं। ग़ालिब: आपकी ग़ायत इस तकलीफ़ से ये थी कि मेरी सूरत...
میں اس طرح کا دل لگاتی نہیںیہ شرکت تو بندی کو بھاتی نہیں
रास्ता, सफ़र, मुसाफ़िर मंज़िल सब चलते रहने और ज़िन्दगी के बहाव की अलामत हैं। रास्तों के पेच-ओ-ख़म, रहगुज़ार की सख़्तियाँ सब एक मक़सद की तकमील के हौसले को पस्त नहीं कर पातीं। कोई ज़रूरी नहीं कि हर रहगुज़र मंज़िल का पता दे लेकिन रास्ता शायरी मंज़िल को पा लेने की धुन को ताक़त और हौसला अता करती है। पेश है रहगुज़र शायरी का यह इन्तिख़ाब आप के लिएः
शर्बतشربت
syrup drink, beverage
शकर डालकर मीठा किया हुआ पानी जो पिया जाता है, शर्करोदक, दवाओं से बना हुआ शकर का शीरा, सीरप, मिष्टोद।।
Risalah Arq-o-Sharbat
गोबिंद राम
औषिधि
Devdas
नॉवेल / उपन्यास
Sharat Chandra : Shakhsiyat Aur Aakhiri Sawal
शरत के बेहतरीन अफ़्साने
अफ़साना
स्वामी
अनुवाद
यादगार-ए-नक़ी
मोहम्मद नक़ी
दीवान
देहाती समाज
शरअत-उल-हक़
सय्यद मुहिब्बुल हक़
अन्य
Brahman Kanya
Mahnama Hamara Jasoos
इब्न-ए-सईद
Biraj Bahu
मेरा बेटा
Kamla
Ahkam-e-Shirkat
मोहम्मद यूनुस
Badi Didi
है सब्र जिन्हें तल्ख़-कलामी को तुम्हारीशर्बत ही बताते हैं सम कह नहीं सकते
वो चटाई बिछाए कोई किताब पढ़ रहे होते। मैं आहिस्ता से उनके पीछे जा कर खड़ा हो जाता और वो किताब बंद कर के कहते, "गोलू आ गया" फिर मेरी तरफ़ मुड़ते और हंस कर कहते, "कोई गप सुना" और मैं अपनी बिसात के और समझ के मुताबिक़ ढूंढ ढांड...
बुद्धू, "बस यही तो आदमी का धर्म है। मगर भाई क्रोध (गु़स्सा) के बस में हो कर बुद्धि उल्टी हो जाती है।" फागुन का महीना था। किसान ऊख बोने के लिए खेतों को तैयार कर रहे थे, बुद्धू का बाज़ार गर्म था। भेड़ों की लूट मची हुई थी। दो-चार आदमी...
करीम दाद ने जवाब दिया, “कि हमारी फ़सलें तबाह हो जाएं।” ये सुन कर जीनां को यक़ीन होगया कि दरिया बंद किए जा सकते हैं। चुनांचे निहायत बेचारगी के आलम में उसने सिर्फ़ इतना कहा, “कितने ज़ालिम हैं ये लोग।”...
کچھ بھوک کا شکوہ نہیں کرنے کی یہ بیمارتبرید فقط آپ کا ہے شربتِ دیدار
मैं दूध बख्शवा भी न पाई कि चल बसींशर्बत बना के लाने न पाई कि चल बसीं
मंटो के मुताल्लिक़ अब तक बहुत कुछ लिखा और कहा जा चुका है। इसके हक़ में कम और ख़िलाफ़ ज़्यादा। ये तहरीरें अगर पेश-ए-नज़र रखी जाएं तो कोई साहब-ए-अक़्ल मंटो के मुताल्लिक़ कोई सही राय क़ायम नहीं कर सकता। मैं ये मज़मून लिखने बैठा हूँ और समझता हूँ कि मंटो...
मैं ने तो तुम से की ही नहीं कोई आरज़ूपानी ने कब कहा था कि शर्बत करो मुझे
आरज़ू-ए-चश्मा-ए-कौसर नईंतिश्ना-लब हूँ शर्बत-ए-दीदार का
उम्र-भर देखा किए मरने की राह मर गए पर देखिए दिखलाएँ क्या...
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