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नज़्म
ये बातें झूटी बातें हैं
ये बात अजीब सुनाते हो वो दुनिया से बे-आस हुए
इक नाम सुना और ग़श खाया इक ज़िक्र पे आप उदास हुए
इब्न-ए-इंशा
मर्सिया
अल-जुज़ का है तज़किरा बाहम तन-ओ-सर में
अल-वस्ल का ग़ुल है सक़र ओ अहल-ए-सक़र में
मिर्ज़ा सलामत अली दबीर
ग़ज़ल
जब किसी फूल पे ग़श होती हुई बुलबुल को
सेहन-ए-गुलज़ार में देखोगे तो याद आऊँगा
राजेन्द्र नाथ रहबर
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