aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "فسادات"
मकतबा-ए-फ़साना, इलाहाबाद
पर्काशक
फ़साना एजेंसी, लाहौर
मिरा घर फ़सादात में जल चुकावतन जाऊँ तो किस के घर जाऊँ मैं
"कौन से घर में?" बुज़ुर्ग ने पूछा। "रहतकी मुहाजिरों के घर में" लड़के ने कहा।...
हो गया अपने पड़ोसी का पड़ोसी दुश्मनआदमिय्यत भी यहाँ नज़्र-ए-फ़सादात हुई
जब वो ऊपर आया था तो उसका दिल-ओ-दिमाग़ सख़्त मुज़्तरिब और हैजानज़दा था। लेकिन आधे घंटे ही में वो इज़्तिराब और हैजान जो उसको बहुत तंग कर रहा था। किसी हद तक ठंडा हो गया था वो अब साफ़ तौर पर सोच सकता था। कृपाल कौर और उसका सारा ख़ानदान...
गांव के लोग अभी सोग में मसरूफ़ थे कि करीम दाद ने शादी करली। उसी मुटियार जीनां के साथ जिस पर एक अर्से से उसकी निगाह थी। जीनां सोगवार थी। उसका शहतीर जैसा कड़ियल जवान भाई बलवों में मारा गया था। माँ-बाप की मौत के बाद एक सिर्फ़ वही उसका...
दंगों पर आधारित दस सर्वश्रेष्ठ उर्दू कहानी संग्रह यहाँ पढ़ें। इस पृष्ठ में अब तक की सर्वश्रेष्ठ दंगा आधारित कहानियाँ मौजूद हैं, जिन्हें रेख़्ता ने ई-बुक पाठकों के लिए चुना है।
साम्प्रदायिक दंगे
फ़साद पर ये शायरी फ़साद की भयानक सूरतों और उन के नतीजे में बर्पा होने वाली इंसानी तबाही का तख़्लीक़ी बयान है। आज के अहद में बेश्तर इंसानी आबादियाँ फ़साद की किसी न किसी शक्ल की ज़द में हैं और जानी, माली, तहज़ीबी और सक़ाफ़ती तबाही को एक सिलसिला जारी है। ऐसे दौर में अगर ये शायरी हमारे अंदर पैदा होने वाले जज़्बों को शांत कर दे तो बड़ी बात होगी।
फ़सादातفَسادات
झगड़े, फ़ित्ने, ख़राबियां, उपद्रव, दंगा, उत्पात
फ़सादात के अफ़्साने
हसन अब्बास रज़ा
अफ़साना
Firqa Wariyat Aur Firqa Warana Fasadat
असग़र अली इंजीनियर
भारत
Congress Ki Zimmedari
अननोन ऑथर
भारत का इतिहास
Fasadat Ke Afsane
ज़ुबैर रिज़वी
Zafran Ke Phool
ख़्वाजा अहमद अब्बास
Fasadat Ka Masala
मौलाना वहीदुद्दीन ख़ाँ
शिक्षाप्रद
फ़सान-ए-अजाइब
रजब अली बेग सुरूर
दास्तान
Fasana-e-Ajaib
Fasana-e-Aazad
रतन नाथ सरशार
नॉवेल / उपन्यास
Fasadat-e-Panjab Ki Tahqiqati Adalat Ke Das Sawalon Ke Jwabaat Aur Maulana Maududii Ke Jwabat Par Tabsara
जलालुद्दीन शम्स
फ़साना-ए-अजाइब
फ़िक्शन
Fasana-e-Saltant-e-Mughalia
इतिहास
पहले छुरा भोंकने की इक्का दुक्का वारदात होती थीं, अब दोनों फ़रीक़ों में बाक़ायदा लड़ाई की ख़बरें आने लगी जिनमें चाक़ू-छुरियों के इलावा कृपाणें, तलवारें और बंदूक़ें आम इस्तेमाल की जाती थीं। कभी-कभी देसी साख़्त के बम फटने की इत्तिला भी मिलती थी। अमृतसर में क़रीब क़रीब हर एक का...
उस ख़ाके के तैयार कर चुकने के बाद जलसे के दिन तक हर रोज़ उस पर एक नज़र डालता रहा और आईने के सामने खड़े हो कर बा’ज़ मार्का आरा फ़िकरों की मश्क़ करता रहा। उसके बाद की मुस्कुराहट की ख़ास मश्क़ बहम पहुंचाई। खड़े हो कर दाएँ से बाएँ...
दोनों भाई एक साथ रहते थे ताकि ख़र्च कम हो। बड़ी अच्छी गुज़र रही थी। एक सिर्फ़ अल्लाह रक्खा को जो बड़ा था, अपने छोटे भाई के चाल-चलन के मुतअल्लिक़ शिकायत थी। वो शराब पीता था, रिश्वत लेता था और कभी कभी किसी ग़रीब और नादार औरत को फांस भी...
फ़िर्का-वाराना फ़सादात ने कल क़त्ल किया।।।!
मुझे वो वक़्त अच्छी तरह याद है जैसे कल की बात हो। सुब्ह के दस ग्यारह बजे होंगे। रेलवे स्टेशन से लड़कियों के ताँगे आ आकर फाटक में दाख़िल हो रहे थे। होस्टल के लॉन पर बरगद के दरख़्त के नीचे लड़कियाँ अपना-अपना अस्बाब उतरवा कर रखवा रही थीं। बड़ी...
चवन्नी लाल को अच्छी पोशिश और अच्छे खाने का बहुत शौक़ था। तबीयत में नफ़ासत थी। चुनांचे वो लोग जो उसके मकान में एक दफ़ा भी गए। उसके सलीक़े की तारीफ़ अब तक करते हैं। एन डब्लू आर के एक नीलाम में उसने रेल के डिब्बे की एक सीट ख़रीदी...
बटवारे के बाद जब फ़िर्का-वाराना फ़सादात शिद्दत इख़्तियार कर गए और जगह जगह हिंदुओं और मुसलमानों के ख़ून से ज़मीन रंगी जाने लगी तो नसीम अख़्तर जो दिल्ली की नौ-ख़ेज़ तवाइफ़ थी अपनी बूढ़ी माँ से कहा, “चलो माँ, यहां से चलें।” बूढ़ी नायिका ने अपने पोपले मुँह में पानदान...
मुमताज़ उस रोज़ बहुत ही पुरजोश था। हम सिर्फ़ तीन थे जो उसे जहाज़ पर छोड़ने के लिए आए थे, वो एक ग़ैर मुतय्यन अर्से के लिए हमसे जुदा हो कर पाकिस्तान जा रहा था... पाकिस्तान, जिसके वजूद के मुतअल्लिक़ हममें से किसी को वहम ओ गुमान भी न था।...
“वो... औरत के क़ाबिल नहीं, नुक़्स दूर करने के लिए वो फ़क़ीरों और सन्यासियों से टोने टोटके लेता रहता है।” मुस्तक़ीम ने कहा, “ये बात तो पागल होने से ज़्यादा अफ़सोसनाक है, महमूदा के लिए तो ये समझो कि इज़दवाजी ज़िंदगी एक ख़ला बन कर रह गई है।”...
उसने कहा, “ठीक है, बेगम साब, तुम झूट नाहीं बोलेगा।” मेरी बीवी ने साठ कपड़ों के हिसाब से जब उसको दाम दिए तो उसने माथे के साथ रुपे छुवा कर सलाम किया और चलने लगा।...
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