aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "قریب"
कौसर सिद्दीक़ी
born.1934
शायर
क़ुर्ब-ए-अब्बास
born.1986
लेखक
बज़म-ए-कु़रैश, अहमदाबाद
पर्काशक
शाह हकीम क़ुरैश अहमद
गाह क़रीब-ए-शाह-रग गाह बईद-ए-वहम-ओ-ख़्वाबउस की रफ़ाक़तों में रात हिज्र भी था विसाल भी
तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी होतुम को देखें कि तुम से बात करें
अजब ए'तिबार ओ बे-ए'तिबारी के दरमियान है ज़िंदगीमैं क़रीब हूँ किसी और के मुझे जानता कोई और है
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब सेचेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से
मिलना था इत्तिफ़ाक़ बिछड़ना नसीब थावो उतनी दूर हो गया जितना क़रीब था
क्या आप ग़ज़ल की दुनिया में नए हैं और इस दुनिया को क़रीब से देखना चाहते हैं ? क्या आपको ऐसी ग़ज़लें पढनी हैं, जो सीधे आपके दिल तक पहुँचे? तो यहाँ हम चंद ऐसी ग़ज़लें ला रहे हैं, जिसे पढ़ कर आप एहसास की नै दुनिया में दाख़िल होंगे |
हमें अपने रोज़मर्रा के जीवन में किसी न किसी अज़ीज़ और दिल से क़रीब शख़्स का स्वागत करना ही पड़ता है। लेकिन ऐसे समय पर वो सटीक लफ़्ज़ और जुमले नहीं सूझते जो उस के आगमन पर उस के स्वागत में कहे जासकें। अगर आप भी इस परेशानी और उलझन से गुज़रे हैं या गुज़र रहे हैं तो स्वागत पर की जाने वाली शायरी का हमारा ये चयन आपके लिए मददगार होगा।
तस्वीर को विषय बनाती उर्दू शाइरी, इश्क़-ओ-आशिक़ी और सामान्य जीवन के फैले हुए तजरबात को अपने ख़ास रंगों में पेश करती है । तस्वीर को शाइरी में उस की ख़ूबसूरती, ख़ामोशी, भाव एवं अभिव्यक्ति की स्थिरता और गतिशीलता के अलावा और दूसरे अर्थों में रूपक के तौर पर इस्तेमाल किया गया है । तस्वीर यूँ तो किसी वस्तु का अक्स ही होता है, लेकिन उस को देखते हुए हम जहाँ उस से प्रभावित होते हैं वहीं यूँ भी होता है किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती । तस्वीर उर्दू शाइरी में महबूब का रूपक भी बनती है, और उस से एक विषय के तौर पर आशिक़ की बेचैनी और कश-मकश की सूरतें सामने आती हैं । इस तरह के अलग-अलग और फैले हुए तजरबे से लुत्फ़ हासिल करने के लिए यहाँ तस्वीर-शाइरी का एक संकलन प्रस्तुत किया जा रहा है ।
क़रीबقریب
near, adjacent almost, about, near
Hindustan Ki Halat
ओ. सिडनी
इतिहास
Zameen Ke Qareeb
ज़फ़र गोरखपुरी
शाइरी
Aaina-e-Quresh
इमरान अज़ीम
सांस्कृतिक इतिहास
Rag-e-Jaan Ke Qareeb
अज़हर नदवी
ग़ज़ल
Lal Qila Ki Ek Jhalak
नासिर नज़ीर फ़िराक़ देहलवी
शिक्षाप्रद
Vedic Dharm Aur Islam
सय्यद अख़्लाक़ हुसैन देहलवी
सांप्रदायिक सौहार्द्र
Tareekh Quraish
अब्दुल क़ादिर
Dil se Qareeb
इंतिसार हुसैन
Oonche Makanon ke Qareeb
फ़े सीन एजाज़
Jaunpur Ke Chand Shora
एस. एम. अब्बास
जीवनी
दिल के क़रीं रहते हैं
अहमद यूसुफ़
स्केच / ख़ाका
कि़स्सा / दास्तान
Resala Qaum-e-Quresh
अननोन ऑथर
Qareeb-e-Rag-e-Jaan
नफ़ीसा ख़ान
गद्द्य
क़यामत यक़ीनन क़रीब आ गई है'ख़ुमार' अब तो मस्जिद में जाने लगे हैं
मैं तुझे भूलने की कोशिश मेंआज कितने क़रीब पाता हूँ
सीढ़ियाँ चढ़ते हुए उस ने ये सोचा होगाराहदारी में हरे लॉन में फूलों के क़रीब
मैं अब के साल परिंदों का दिन मनाऊँगामिरी क़रीब के जंगल से बात हो गई है
दूर रह कर न करो बात क़रीब आ जाओयाद रह जाएगी ये रात क़रीब आ जाओ
इक ऐसा ज़ख़्म-नुमा दिल क़रीब से गुज़रादिल उस को देख के चीख़ा ठहर लगेगा नहीं
नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैंक़रीब उन के आने के दिन आ रहे हैं
आप जिन के क़रीब होते हैंवो बड़े ख़ुश-नसीब होते हैं
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