aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "لپکا"
लीला जॉर्ज
लेखक
अपनी तो जहाँ आँख लड़ी फिर वहीं देखोआईने को लपका है परेशाँ-नज़री का
चौथे ने उनको रोका, “ठहरो... इससे क्या फ़ायदा... चलो पुल पर उन लोगों को मारें।” मैंने उसको पहचान लिया। ये थैला कंजर था... नाम मोहम्मद तुफ़ैल था मगर थैला कंजर के नाम से मशहूर था। इसलिए कि एक तवाइफ़ के बतन से था। बड़ा आवारागर्द था। छोटी उम्र ही में...
सुना है बुझते बुझते भी तुम्हारे सर्द ओ मुर्दा लब सेएक शो'ला शोला-ए-याक़ूत-फ़ाम ओ रंग ओ उम्मीद-ए-फ़रोग़-ए-ज़िंदगी-आहंग लपका था
‘‘पिरोजा दस्तूर’’, लड़की ने सादगी से जवाब दिया। ‘‘मैंने आपको पहले किसी कन्सर्ट वग़ैरा में नहीं देखा।’’ ‘‘मैं सात बरस बाद पिछले हफ़्ते ही पैरिस से आई हूँ।’’...
“हाँ न उगे बाँस न बजे बांसुरी, सास न हो तो कोई झगड़ा नहीं रहता।” इंदू ने एका एकी ख़फ़ा होते हुए कहा, “तुम जाओ जी सो रहो जा कर बड़े आए हो आदमी जीता है तो लड़ता है ना? मरघट की चुपचाप से झगड़े भले। जाओ न रसोई में...
इस चयन में अख़्तरुल ईमान की कुछ नज़्में शामिल हैं। ग़ज़ल शैली को आमतौर पर उर्दू में सराहा जाता है और लगभग हर शायर ग़ज़ल लिखने की कोशिश करता है, लेकिन अख़्तरुल ईमान ने ग़ज़ल के बजाय नज़्मों को चुना और नज़्म के एक सफ़ल शायर के रूप में लोकप्रिय हो गए, उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता "एक लड़का है" जो इस चयन का हिस्सा है हम इस चयन के माध्यम से उन्हें उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि पेश करते हैं ।
लपकाلپکا
grab
Battakh Aur Ladka
मोहम्मद इमरान अहमद
कहानी
Kya Ham Ladka Ya Ladki Apni Marzi Par Paida Kar Sakte Hain
पंडित ठाकुर दत्त शर्मा
Bahadur Ladka
एम. ए. क़ुरैशी
ड्रामा
American Thag
राम लाल फ़िरोज़पुरी
जासूसी
Hindustan Barma Aur Lunka Ka Jadeed Geography
Jhoota Ladka
अब्दुल ग़फ़्फ़ार मुदहोली
Gautama Buddha
बौद्ध-मत
Gaya Nagar Mein Lanka
अख़तर हसन
Sati Sulochana
राम नरायण शर्मा
हिन्दू-मत
Chor Ladka
Dhund Mein Lipta Chand
शबाना इशरत
काव्य संग्रह
Nariyal Ke Ped Se Latka Hua Seep
क़य्यूम बदर
गद्य/नस्र
Chori Ki Adat
नाटक / ड्रामा
Al-Ikhtisar Ya Nai Roshni Ke Ladka Ladki
मोहम्मद अब्दुल मजीद
نکلی اندر سے ایک دایہلڑکا کوئی گھو گیا تھا اس کا
उसने बड़े प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरा और मुस्कुरा कर कहा, “इससे भी अच्छा मौक़ा मिलेगा... लेकिन तुम ये बताओ जो कुछ मैं कहूँगी करोगे?” साहिब मेरे सर पर तो भूत सवार था। मैंने जोश में आकर जवाब दिया, “तुम्हारे लिए मैं पंद्रह आदमी क़त्ल करने को तैयार...
वो ज़्यादा देर तक होटल में अपने दोस्त के साथ न बैठ सका। उसके दिल-ओ-दिमाग़ पर पिछले रोज़ के वाक़िए का बहुत बोझ था। चुनांचे चाय ख़त्म हुई तो दोनों रुख़्सत हो गए। उसका दोस्त चुपके से टांगों के अड्डे पर आया। थोड़ी देर तक उसकी निगाहें उस दलाल को...
मैंने हैरत-ज़दा हो कर पूछा “तो तुमने हैदराबाद में नौकरी क्यों की थी?” “सब बताती हूँ,बेसब्र क्यों हुए जाते हो। मेरे वालिद मरहूम, निहायत रोशन ख़्याल आदमी थे, उन्होंने मेरी ता’लीम निहायत आ’ला दर्जे की की थी और कहते थे कि औलाद को ता’लीम देना बस यही वालदैन का फ़र्ज़...
इधर कई महीनों से मकान की तलाश में शह्र के बहुत से हिस्सों और गोशों की ख़ाक छानने और कई महल्लों की आब-ओ-हवा को नमूने के तौर पर चखने का इत्तफ़ाक़ हुआ तो पता चला कि जिस तरह हर गली के लिए कम से कम एक कम तौल पंसारी, एक...
“अरे भई हज़रत मूसा। मू... सा।” “मूसा... वही तो नहीं जिन पर बिजली गिरी थी?”...
अब्र की ज़र्दी हर लम्हा बढ़ती जाती थी। शायद घोड़ा इस ख़तरे को समझ रहा था। वो बार-बार हिनहिनाता था, और उड़ कर ख़तरे से बाहर निकल जाना चाहता था। मैंने भी देखा रास्ता साफ़ है। लगाम ढीली कर दी। घोड़ा उड़ा। मैं उसकी तेज़ी का लुत्फ़ उठा रहा था,...
मौला लपका चला गया मगर फिर एक दम जैसे उसके क़दम जकड़ लिए गए और वो बुत की तरह जम कर रह गया। पीर नूर शाह उसके क़रीब आए और अपनी पाटदार आवाज़ में बोले, तू आगे नहीं जाएगा मौला! हाँपता हुआ मौला कुछ देर पीर नूर शाह की आँखों...
ज़ाहिद एक ऐसे आलम में था कि उसके सोचने-समझने की तमाम क़ुव्वतें मुअ’त्तल हो गई थीं। वो सहन में एक कुर्सी पर बैठा बग़ल में लुग़त दबाये ख़ला में देख रहा था जैसे वो अपनी बच्ची के लिए कोई नाम तलाश करने में मह्व है। बच्ची को दफ़नाने का वक़्त...
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