aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "وجود"
सिकंदर अली वज्द
1914 - 1983
शायर
आबिद वदूद
born.1953
विनोद कुमार त्रिपाठी बशर
born.1957
विनोद कुमार शुक्ल
लेखक
वजद चुगताई
विनोद अश्क
सफ़ीया वदूद
विनोद रस्तोगी
सय्यद वदूद अल-हक
अहमद वजूदी
संपादक
विनोद मेहता
रचना विनोद
विनोद आसुदानी
विनोद विपुल
विनोद कुमार
बिछा दिया था गुलाबों के साथ अपना वजूदवो सो के उट्ठे तो ख़्वाबों की राख उठाऊँगी
वजूद इक वहम है और वहम ही शायद हक़ीक़त हैग़रज़ जो हाल था वो नफ़्स के बाज़ार ही का था
वो बर्क़ लहर बुझा दी गई है जिस की तपिशवजूद-ए-ख़ाक में आतिश-फ़िशाँ जगाती थी
इक अबस का वजूद है जिस सेज़िंदगी को मुराद पानी है
बिखरा पड़ा है तेरे ही घर में तिरा वजूदबेकार महफ़िलों में तुझे ढूँडता हूँ मैं
मीराजी उर्दू अदब में अपने बिल्कुल मुख़्तलिफ़ रंग के लिए जाने जाते हैं। उनकी शायरी में इन्सानी वुजूद, उसके कर्ब और अज़िय्यत की रूदाद और मौजूदगी का बैन सुनाई देता है। हमने, उर्दू शायरी के बा-ज़ौक़ क़ारिईन के लिए मीराजी की दस बेहतरीन नज़्मों का इन्तेख़ाब किया है। पढ़िए और अपने दोस्तों के साथ शेयर भी कीजिए।
जीत और हार का तसव्वुर बहुत पुराना है। ज़िन्दगी के तमाम खेल जीत की ख़्वाहिश में ही खेले जाते हैं चाहे इनका नतीजा कुछ भी निकले। दिल और दुनिया की बाज़ी में शायर भी कहीं न कहीं शामिल होता है इस लिए जीत उसके लिए भी शायरी का मौज़ूअ है। जीत शायरी के जश्न में कुछ देर के लिए आप भी शरीक हों तो मज़ा आ जाएः
आरज़ूएं, तमन्नाएं, ख़्वाहिशें ज़िन्दगी में इतने रंग भरती हैं जिनका शुमार भी मुश्किल है। ज़िन्दगी के यही रंग जब शायरी मे ढलते हैं तो कमाल को हुस्न बिखेरते हैं। आरज़ू शायरी के हज़ारों नमूने उर्दू के हर दौर की शायरी में मौजूद हैं। रेख़्ता पर आरज़ू शायरी का यह ख़ूबसूरत गुलदस्ता हाज़िर हैः
वजूदوجود
existence, being, life
Ibn-e-Arabi Ka Nazariya-e-Wahdat-e-Wajood
मोहम्मद अबदुस्सलाम ख़ाँ
सूफीवाद दर्शन
वजूद
राजेश रेड्डी
काव्य संग्रह
Karwan-e-Wajood
निसार अज़ीज़ बट
नॉवेल / उपन्यास
Saman-e-Wujood
बानो कुदसिया
महिलाओं की रचनाएँ
Aurt Islami Muashre Mein
सय्यद जलालुद्दीन उमरी
इस्लामियात
तलाश-ए-वजूद
अनवर सज्जाद
आलोचना
Risala-e-Wahdat-e-Wujood
सय्यद आल-ए-हसन रिज़वी मोहानी
Dasht-e-Wajood
हमीदा शाहीन
Jins Aur Wajood
अनीस नागी
Iqbal Aur Wajood-e-Zan
नसरीन अख़तर
वरूद-ए-मसूद
मसऊद हुसैन ख़ां
आत्मकथा
Mujh Par Wajood Aya Hua
अफ़ज़ाल नवेद
Tilawat-e-Wajood Kafiyan
शहज़ाद क़ैसर
शाइरी
Adhura Aasman
ग़ज़ल
Deewar Mein Ek Khidki Rahti Thi
अमृतसर से स्शपेशल ट्रेन दोपहर दो बजे को चली और आठ घंटों के बाद मुग़लपुरा पहुंची। रास्ते में कई आदमी मारे गए। मुतअद्दिद ज़ख़्मी हुए और कुछ इधर उधर भटक गए। सुबह दस बजे कैंप की ठंडी ज़मीन पर जब सिराजुद्दीन ने आँखें खोलीं और अपने चारों तरफ़ मर्दों, औरतों...
और अपने सारे वजूद सेजब पुकारेगी
बरसात के वही दिन थे। पीपल के नर्म नर्म पत्तों पर बारिश की बूंदें गिरने से वैसी ही आवाज़ पैदा होरही थी जैसी रणधीर उस दिन सारी रात सुनता रहा था। मौसम बेहद सुहाना था। ठंडी ठंडी हवा चल रही थी लेकिन उसमें हिना के इत्र की तेज़ ख़ुश्बू घुली...
पूछे है क्या वजूद ओ अदम अहल-ए-शौक़ काआप अपनी आग के ख़स-ओ-ख़ाशाक हो गए
ठहरता नहीं कारवान-ए-वजूदकि हर लहज़ है ताज़ा शान-ए-वजूद
आप शहर में ख़ूबसूरत और नफ़ीस गाड़ियाँ देखते हैं... ये ख़ूबसूरत और नफ़ीस गाड़ियाँ कूड़ा करकट उठाने के काम नहीं आ सकतीं। गंदगी और ग़लाज़त उठा कर बाहर फेंकने के लिए और गाड़ियाँ मौजूद हैं जिन्हें आप कम देखते हैं और अगर देखते हैं तो फ़ौरन अपनी नाक पर रूमाल...
है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़अहल-ए-नज़र समझते हैं उस को इमाम-ए-हिंद
जला न लो कहीं हमदर्दियों में अपना वजूदगली में आग लगी हो तो अपने घर में रहो
जानिए क्या तलाश थी 'जौन' मिरे वजूद मेंजिस को मैं ढूँढता गया जो मुझे ढूँढती गई
कारोबार-ए-शहरयारी की हक़ीक़त और हैये वजूद-ए-मीर-ओ-सुल्ताँ पर नहीं है मुनहसिर
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