aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ٹیسٹ"
ग़ालिब इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली
पर्काशक
शाह वली-उल्लाह इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली
नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली
मरकज़ तहक़ीक़ दयाल सिंह ट्रस्ट लाइब्रेरी, लाहौर
इंस्टिट्यूट ऑफ़ ऑब्जेक्टिव स्टडीज़, नई दिल्ली
दि इन्टर्नेशनल इन्स्टी्टयूट ऑफ इस्लामिक थॉट, यू.एस.ए
दी मुस्लिम इंस्टीट्यूट, कोलकाता
उर्दू ट्रस्ट, कराची
इंस्टीटूट आफ़ इक़बाल, लाहाैर
एकेडमी पंजाब ट्रस्ट,लाहौर
इक़बाल इंस्टीटूट, कश्मीर यूनिवर्सिटी, श्रीनगर
इंस्टिट्यूटऑफ़ ओरिएण्टल स्टडीज़, रामपुर
अल-हुदा एजुकेशनल एण्ड वेलफ़ेयर ट्रस्ट, हाजीपुर, (वैशाली)
हसन आरा ट्रस्ट
थॉमस टेट
लेखक
“उसी से पूछ लिया होता।” “पूछा था, उसने जवाब दिया, उस डर का पता मरीज़ के सिवा कोई नहीं लगा सकता।” ...
आदमी ज़हीन हूँ, दिमाग़ में कोई सवाल पैदा हो जाये तो मैं उसका जवाब ढूंड ही निकालता हूँ। ठंडे दिल से (हालाँकि दिल का कुछ पता ही नहीं था) मैंने ग़ौर करना शुरू किया कि इस गड़बड़ घोटाले की वजह क्या है? औरत...? हो सकती है। मेरी अपनी तो कोई...
उसने कृपलानी से कहा, “मैंने एक लड़की को मुलाज़िम रखा है। आप उसे देख लीजिए। आप के फ़िल्म के लिए बड़ी मुनासिब हीरोइन रहेगी।” कृपलानी ने कहा, “आप उसको बुलाईए, मैं देख लूँगा, कैमरा और साउंड टेस्ट लेने के बाद अगर मेरा इत्मिनान हो गया तो मुझे कोई उज़्र नहीं...
एक बार फिर अनवर ने फ्रिजडीटर में अपना हाथ धोया और सोचा, “मुझे इसके हज्बेंड से मिल कर क्या ख़ुशी होगी। जब कि ये ख़ुद उससे नाख़ुश है... उसने कहा था कि वो मेरा बिल्कुल ख़याल नहीं रखते।” देर तक वो जमील और उसकी बीवी से बातें करता रहा कि...
“लेकिन मैं तो चाहता हूँ कि आप इस तरह ख़ामोश न रहें। इससे ख़्वाह-मख़ाह ये ज़ाहिर होगा कि आपको इस मजमे में एक मख़सूस शख़्स की मौजूदगी नागवार गुज़र रही है।” “पर जो आप चाहें, लाज़िम तो नहीं कि दूसरों की भी वही मर्ज़ी हो। क्योंकि जब आप कुछ कहते...
ज्ञानपीठ से पुरस्कृत उर्दू किताबें.
टेस्टٹیسٹ
test
इंतिख़ाब मज़ामीन अलीगढ़ इंस्टिट्यूट गज़ट
सर सय्यद अहमद ख़ान
लेख
टेक्स्ट बुक अाफ़ लाइब्रेरी
सरदार अहमद
कैटलॉग / सूची
Usool-e-Ilm-e-Hindsa
गणित
Aligarh Institute Gazette
असग़र अब्बास
H.E.H The Nizam & Alauddin Technical Training Institute
अननोन ऑथर
Maqalat-e-Bijnori
डॉ. अब्दुर रहमान बिजनौरी ट्रस्ट
Shumara Number-017
Jul 1866दी अलीगढ़ इंस्टीट्यूट गज़ट
Shumara Number-008
सेमीं हसन
Aug 2008दी अलीगढ़ इंस्टीट्यूट गज़ट
Fehrist-e-Kutub H.E.H The Nizam Urdu Trust Library
मोहम्मद अबदुल महमूद
Khabarnamah Institute Of Health & Tibbi Research
स्वास्थ्य
Oriental Research Institute Tonk Ki Ek Jhalak
सय्यद मंज़ूरुल हसन बरकाती
Al-Sana
मोहम्मद हफ़ीज़ुद्दीन
Shumaara No-001
शौकत अली ख़ान
जर्नल ऐरबिक ऐन्ड पर्शियन रीसर्च इंस्टिट्यूट राजस्थान
Tesu Ke Phool
गौहर मसूद
अफ़साना
Sauvenir Adabi Trust
अल्लाउद्दीन हबीब
आख़िर मदन को फिर उसे पीटना पड़ा, दो दिन प्रेम लता ने चार चोट की मार खाई तो सीधी हो गई और फ़िल्म प्रोड्यूसरों के दफ़्तरों में जा कर अपने शौहर को अपना भाई बताने लगी। चमन भाई ने मदन को अपने एक दोस्त प्रोडयूसर छगन भाई से मिलवा दिया।...
दो मुलाज़िम एक काला और गोरा दूसरादूसरा पैदल मगर पहला सवार-ए-राह-वार
मिस माला खांडेकर जैसा कि उसके नाम से ज़ाहिर है कि कोल्हापुर की मरहटा थी। दूसरों के मुक़ाबले में उसका उर्दू का तलफ़्फ़ुज़ ज़्यादा साफ़ था। उसको ये ज़बान बोलने का शौक़ था। उम्र की ज़्यादा बड़ी नहीं थी लेकिन उसके चेहरे का हर ख़द्द-ओ-ख़ाल अपनी जगह पर पुख़्ता। बातें...
हिमानशू राय एक बेहद मेहनती और दूसरों से अलग-थलग रह कर ख़ामोशी से अपने काम में शब-ओ-रोज़ मुनहमिक रहने वाले फ़िल्म-साज़ थे। उन्होंने बम्बई टॉकीज़ की नीव कुछ इस तरह डाली थी कि वो एक बा-वक़ार दर्सगाह मालूम हो। यही वजह है कि उन्होंने बंबई शहर से दूर मुज़ाफ़ात में...
बेगम नवाब सिसकती रहीं। पांव ना झटके। “मुझे शुबा हुआ था नवाब बेगम, अगर जान की अमान पाऊं तो अर्ज़ करूँ?”...
بے در و دیوار ناٹک گھر بنایا چاہیے صحیح نام اور پتہ بتانےسے ہم قاصر ہیں، اس لیے کہ اس میں کچھ پردہ نشینوں کے بھی نام آتے ہیں۔ سردست اتنا اشارہ کافی ہوگا کہ اس تھیٹر کو اداکاروں کی ایک کوآپریٹیو سوسائٹی نقصان باہمی کی بنیاد پر چلا رہی...
उसके साथ साथ इन चार सालों में उसने तीन-चार अधूरे पूरे इश्क़ भी किए। उन मोहब्बतों का उसकी ज़ात पर गंभीर असर न हो सका क्योंकि जिन लड़कियों से उसने मोहब्बत की थी उनके भी इश्क़ के इलावा कई मशाग़ल थे। वो भी कसीर-उल-मक़ासिद थीं और पुराने ज़माने की महबूबाओं...
نئے ادیبوں کی اس بات کو اگر’’خوئے بدرابہانہ بسیار‘‘ قسم کی چیز نہ سمجھا جائے اور ذہنی دیانت پر محمول کیاجائے تو نئے ادب کے تضاد کامسئلہ بہت تسلی بخش طور پر حل ہو جاتا ہے۔ قاعدہ ہے کہ جو لوگ فوج میں بھرتی ہوتے ہیں ان کا میڈیکل ٹیسٹ...
जब बटवारा हुआ तो कुलदीप कौर और प्राण को अफ़रा-तफ़री में लाहौर छोड़ना पड़ा। प्राण की मोटर (जो ग़ालिबन कुलदीप कौर की मिल्कियत थी) यहीं रह गई लेकिन कुलदीप कौर एक बा-हिम्मत औरत है। इस के अलावा उसे ये भी मालूम है कि वो मर्दों को अपनी उंगलियों पर नचा...
मैं मुस्कुराया। “मेरा मतलब ये था कि जो औरत यहां से गुज़र गई है, उसे देख कर आँखों पर बोझ नहीं पड़ता... बड़ी साफ़ सुथरी है लेकिन क़द की ज़रा छोटी है।” पाई ने फिर अपने दाँतों की नुमाइश की। “अरे... चलेगी... क्यूं वाचा?” ...
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