जगजीत सिंह × मिर्ज़ा ग़ालिब
यह इंतिख़ाब मिर्ज़ा ग़ालिब की उन अमर ग़ज़लों पर आधारित है, जिन्हें जगजीत सिंह ने अपनी मधुर और आत्मा को छू लेने वाली आवाज़ में गाया है। इन चुनी हुई ग़ज़लों में इश्क़ की तीव्रता, विरह का दर्द, और ज़िंदगी की गहराइयों से उभरती हुई सोच की वो कोमल परतें शामिल हैं जो दिल और दिमाग़ दोनों को समान रूप से प्रभावित करती हैं।
यह चयन श्रोताओं को शास्त्रीय उर्दू शायरी की सुंदरता और ग़ज़ल गायकी की नज़ाकत से रूबरू कराता है — एक ऐसा मेल जो दिल को छू जाए और लंबे समय तक मन में गूँजता रहे।
आइए, इस अनमोल इंतिख़ाब को पढ़िए, सुनिए, ग़ज़ल और आवाज़ की इस खूबसूरत संगति में डूब जाइए।