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मर्सिया
है शोर फ़लक का कि ये ख़ुरशीद-ए-अरब है
इंसाफ़ ये कहता है कि चुप तर्क-ए-अदब है
मिर्ज़ा सलामत अली दबीर
तंज़-ओ-मज़ाह
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
जिस की फ़ुर्क़त ने पलट दी इश्क़ की काया 'फ़िराक़'
आज उस ईसा-नफ़स दम-साज़ की बातें करो
फ़िराक़ गोरखपुरी
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शेर
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
निदा फ़ाज़ली
तंज़-ओ-मज़ाह
मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
तंज़-ओ-मज़ाह
सिराज अहमद अलवी
नज़्म
कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया
कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया
वो लोग बहुत ख़ुश-क़िस्मत थे