aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "کپاس"
नासिर कास ग्ंजूई
1928 - 2002
शायर
एम. क्रास साहब बहादुर
लेखक
कलासिक इंटरनेशनल पब्लिकेशन, लुधियाना
पर्काशक
कलासिक ऑफ़सेट प्रिन्टर्स, भोपाल
जो दे सका न पहाड़ों को बर्फ़ की चादरवो मेरी बाँझ ज़मीं को कपास क्या देगा
अब मैं जब कभी छोटी लड़की की आँखें सूजी हुई और उसके गाल सुर्ख़ देखता हूँ तो समझ जाता हूँ कि किसी बड़े घर में चीनी के बर्तन टूटे हैं और उस वक़्त शांता भी मेरी नमस्ते का जवाब नहीं देती। जलती भुन्ती बड़बड़ाती चूल्हा सुलगाने में मसरूफ़ हो जाती...
मगर ये कोई अ'जीब बात नहीं थी, माई ताजो को तो जैसे बेहोश होने की आ'दत थी। हर आठवें-दसवें रोज़ वो सुब्ह को खाट से उठते ही बेहोश हो जाती थी। एक-बार तो वो सुब्ह से दोपहर तक बेहोश पड़ी रही थी और चंद च्यूँटियाँ भी उसे मुर्दा समझ कर...
ये जिस की बेटी के सर की चादर कई जगह से फटी हुई हैतुम उस के गाँव में जा के देखो तो आधी फ़स्लें कपास होंगी
चाँद उर्दू शाएरी का एक लोकप्रिय विषय रहा हैI चाँद को उसकी सुंदरता, उसके उज्ज्वल नज़ारे से उसके प्रतिरूप के कारण कसरत से उपयोग में लाया गया हैI शाएर चाँद में अपने माशूक़ की शक्ल भी देखता हैI शाएरों ने बहुत दिलचस्प अंदाज़ में शेर भी लिखे हैं जिनमें चाँद और माहबूब के हुस्न के बीच प्रतिस्पर्धा का तत्व भी मौजूद है।
आसमान में कड़कने वाली बिजली को उसकी अपनी तीव्रता, कर्कश और तेज़ चमक के गुणों के आधार पर कई सूरतों में रूपक के तौर पर इस्तेमाल किया गया है। बिजली का कौंधना प्रेमिका का मुस्काराना भी है। इसमें भी वही चमक और जला देने की वही तीव्रता होती है और उसके भाँती हिज्र भोग रहे आशिक़ के नालों से भी है। शाएरी में बिजली का विषय कई और अनिवार्यता के साथ आया है। उसमें आशियाँ और ख़िर्मन मूल अनिवार्यता हैं. बिजली की मूल भूमिका आशियाँ और खिर्मन को जलाना है। इन शब्दों से स्थापित होने वाला मज़मून किसी एक सतह पर ठहरा नहीं रहता बल्कि उसकी व्याख्या और समझने के अनगिनत स्तर हैं।
उर्दू शायरी में बदन कहीं-कहीं मुख्य पात्र के तौर पर सामने आता है । शायरों ने बदन को उसके सौन्दर्यशास्त्र के साथ विभिन्न और विविध तरीक़ों से शायरी में पेश किया है । बदन के सौन्दर्यशास्त्र को अपना विषय बनाने वाली उर्दू शायरी में अशलीलता को भी कला के अपने सौन्दर्य में स्थापित किया गया है । उर्दू शायरी ने बदन केंद्रित शायरी में सूफ़ीवाद से भी गहरा संवाद किया है ।
कपासکپاس
cotton
कपास का फ़ूल
अहमद नदीम क़ासमी
अफ़साना
Kapas Ka Phool
कि़स्सा / दास्तान
Red Cross ki Kahani
कृषणा सत्तया नन्द
विश्व इतिहास
Assembly se Class Room Tak
मोहम्मद इफ़्तिख़ार खोखर
शिक्षाप्रद
Middle Class Ka Jugrafiya-Hyd
Kas-ul-Kiram
मीर वली उल्लाह
रुबाई
Iqbal His Political Ideas At Crossroads
एस. हसन अहमद
Kapas Ki Kasht
बाबू राम परशाद
खेती-बाड़ी
Farsi Barae Class Dawwam Dabistan
अननोन ऑथर
Kasht-e-Kapas
Islami Maloomat
शाहिद हुसैन
इस्लामियात
Double Cross
हुमायूँ इक़बाल
जासूसी
Yahi To Waqt Hai Sooraj Tere Nikalne Ka
रज़ा जाफ़री
Kas-ul-Karam
मुख़म्मस
Commerce
सीता राम वर्मा
विज्ञान
औरतें चर्ख़े लिए बैठी हैंकुछ कपास ओटती हैं
माने न माने कोई हक़ीक़त तो है यहीचर्ख़ा है जिस के पास उसी की कपास है
ये बंजारे बला के जफ़ाकश, आहनी हिम्मत और इरादे के लोग थे। जिनके आते ही गाँव में लक्ष्मी का राज हो गया। फिर घरों में से धूँएं के बादल उठे। कोलुव्हाड़ों ने फिर दुखानी चादरें ज़ेब-ए-तन कीं कि तुलसी के चबूतरे पर फिर चराग़ जले, रात को रंगीन तबा नौजवान...
ज़ुल्म और नफ़रत और मज़हबी जुनून को भड़काने वाले, पंजाब की वहदत को मिटा देने वाले आज मगरमच्छ के आँसू बहा रहे हैं और आज पंजाब के बेटे दिल्ली की गलीयों में और कराची के बाज़ारों में भीक मांग रहे हैं और उनकी औरतों की इस्मत लुट चुकी है और...
اور زمینداروں کے متعلق لگاتار فلمیں دیکھ دیکھ کر ہمیں یقین ہوگیا تھا کہ زمیندار ایک نہایت رومانی ہستی ہے جس کا کام صبح سے شام تک شعر و شاعری اور محبت کرنا ہے۔ کپاس کے کھیتوں میں عشق کی گھاتیں ہوتی ہیں۔ چرواہے بیلوں اور بھینسوں کے پاس بیٹھ...
وکٹر رونلڈ اجیت کمار سنگھ۔۔۔ لامارٹینر میں میرے ساتھ پڑھتا تھا۔ بہرحال ایک تھرڈ کلاس اینگلو انڈین لڑکے کا تمہیں اس طرح رومال ہلانا میری نظروں میں سخت نا مناسب اور معیوب بات ہے۔...
’’چھلانگ تو ضرور لگائی ہے، مگر کپاس کے ڈھیر میں۔ بدن پر سریش مل کر۔ عیش کروگے، دوست! آدمی اپنی گرہ سے پیسہ ادھار دے اور وہ ڈوب جائے تو احمق کہلاتا ہے۔ وصول ہو جائے تو سود خور۔ لیکن دوسروں کا رویپہ بیاج پر چلائے اور مونچھیں داڑھی سے...
بے در و دیوار ناٹک گھر بنایا چاہیے صحیح نام اور پتہ بتانےسے ہم قاصر ہیں، اس لیے کہ اس میں کچھ پردہ نشینوں کے بھی نام آتے ہیں۔ سردست اتنا اشارہ کافی ہوگا کہ اس تھیٹر کو اداکاروں کی ایک کوآپریٹیو سوسائٹی نقصان باہمی کی بنیاد پر چلا رہی...
मलिका शबरोज़ी हम्माम के चौबच्चे में बरहना बदन नहा रही थी... उसके पाँव पत्थर हो गए। वो जहाँ रुक गया था, वहीं का हो रहा... वो जिस्म जो उसकी आँखों के सामने था, उस जिस्म से कहीं ज़ियादा ख़ूबसूरत था जिसे उसने अपने ध्यान में चूमा था, चाटा था और...
جیتااورکوپا، سرداروں نے کہا، ’’آپ تشویش کوپاس نہ پھٹکنے دیجئے۔ ہم سب بندوبست کرلیں گے۔‘‘ اتنے میں نقاروں کی آوازآئی، چوطرفہ شور مچنے لگا کہ راول جی کی سواری آئی۔ تب راؤجی بھی سرپرموراورماتھے پرسہرا باندھ کراپنے ڈیرے سے نکلے۔ اور گھوڑے کی پوجا کرکے اس پر سوار ہوئے۔ برات...
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