aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "کھرل"
कार्ल मार्क्स
लेखक
वीरेन्द्र खरे अकेला
born.1968
शायर
आदिल ख़िलगानवी
चित्रांश खरे
born.1989
उत्कर्ष मुसाफ़िर
born.1990
कार्ल वैन डोरेन
करेल चपेक
कार्ल डब्लू अर्न्स्ट
प्रेम शंकर खरे
खेल खेल में प्रकाशन, हैदराबाद
पर्काशक
खरे प्रेस, भोपाल
रफीक कार्ल मार्क्स
लुईस कैरोल
कार्ल मार्क्स यादगारी समिति, कराची
कार्ल हांज़ ग्रोज़र
ठाकुर साहब के दो बेटे थे। बड़े का नाम सिरी कंठ सिंह था। उसने एक मुद्दत-ए-दराज़ की जानकाही के बाद बी.ए. की डिग्री हासिल की थी। और अब एक दफ़्तर में नौकर था। छोटा लड़का लाल बिहारी सिंह दोहरे बदन का सजीला जवान था। भरा हुआ चेहरा चौड़ा सीना भैंस...
طُرفہ گردش میں گرفتار عجب پھیر میں ہےسُرمہ ہے نیند مِری دیدۂِ بیدار کھرل
उस वक़्त होली के कानों में माँ-बेटे के आने की भनक पड़ी। होली ने दोनों हाथों से पेट को संभाला और उठ खड़ी हुई और जल्दी से तवे को धीमी-धीमी आँच पर रख दिया। अब उसमें झुकने की ताब न थी कि फूंकें मार कर आग जला सके। उसने कोशिश...
भरम खुल जाए ज़ालिम तेरे क़ामत की दराज़ी काअगर इस तुर्रा-ए-पुर-पेच-ओ-ख़म का पेच-ओ-ख़म निकले
سچ تو یہ ہے کہ ہمیں زندگی کے بنیادی کوائف و حقائق اور اپنی ادھوری جوانی کے خلاؤں کا علم و انکشاف بھی فلموں ہی کے ذریعے ہوتا رہتا ہے۔ راز و نیاز اور بے تکلفی تو بڑی بات ہے، ہم نے تو کسی خاتون کے سامنے کبھی موزے بھی...
ख़फ़ा होना और एक दूसरे से नाराज़ होना ज़िंदगी में एक आम सा अमल है लेकिन शायरी में ख़फ़्गी की जितनी सूरतें हैं वह आशिक़ और माशूक़ के दर्मियान की हैं। शायरी में ख़फ़ा होने, नाराज़ होने और फिर राज़ी हो जाने का जो एक दिल-चस्प खेल है उस की चंद तस्वीरें हम इस इन्तिख़ाब में आप के सामने पेश कर रहे हैं।
खेल
खेल शायरी
खरलکھرل
alembic
Darwaze Khol Do
कृष्ण चंदर
नाटक / ड्रामा
Daas Capital
Muqabla Arayi
अब्दुल बारी एम के
बैत-बाज़ी
Maarkasi Fikr-o-Falsafa Ke Khadd-o-Khaal
फ्रेडरिक एंगेल्स
दर्शन / फ़िलॉसफ़ी
Communist Manifesto
इतिहास
Communist Party Ka Manifesto
राजनीतिक आंदोलन
Hindustan Ki Pahli Jang-e-Aazadi 1857 Ta 1859
Karl Marx
कार्ल और ऐना
कहानी
Karl Marx Friedrich Engels Muntakhab Tasaneef
Ujrati Mehnat Aur Sarmaya
Socialism
फ़रेडरिक एंगल्स
अर्थशास्त्र
Das Capital
Goya Dabistan Khul Gaya
चौधरी मोहम्मद अली रुदौलवी
पत्र
Sarmaya
अनुवाद
" अमां, भाई साहिब सामने ही हैमर स्मिथ(Hammersmith) का टयूब स्टेशन है। वहां से टयूब पकड़ते हैं तो दो स्टेशन बाद टरनहम ग्रीन है। ख़ैर, जैसे जनाब की मर्ज़ी।" उसने टैक्सी में बैठते हुए कहा। मेरा फ़्लैट वहां से वाक़ई ज़्यादा दूर नहीं था। बमुश्किल दस मिनट बाद मैं अपने...
घर के सामने एक पीपल का दरख़्त खड़ा था जिसने सैंकड़ों बाहें फैला रखी थीं। मुझे हमेशा यही महसूस होता था कि गंगा ने इस पीपल से वही बात कह रखी थी जो राय साहिब ने अपने मेहमान से। राय साहिब की ज़बानी पता चला कि उसे उनके पड़दादा ने...
ये है बीस सौ का मगर सौ से हल्काहै बारीक इतना कि सुर्मा खरल का
اللہ تعالیٰ اس کی روح کو نہ شرمائے، بے حد گندہ آدمی تھا میراجی۔ بہت بُو اس کے جسم سے اڑتی رہتی تھی۔ شاید یہ ان لوگوں میں سے تھا جنہیں یا تو دائی نہلاتی ہے یا چار بھائی۔ مگر اس غلیظ پیکر میں کس قدر لطیف روح تھی! روح...
पुश्त-ए-दराज़-क़द पे वो झट हो गया सवारऔर उस के सारे जिस्म को करने लगा खरल
वो मिर्ज़ा जट की नस्ल से हैं। इसलिए जिस ख़ातून को भी देखा उसे साहबा नहीं साहिबां ही समझा। हर वक़्त कुछ न कुछ करते रहते हैं। जब चंद घंटों के लिए फ़ारिग़ हों और काम न हो तो शादी कर लेते हैं। तालीम तो उनकी उतनी ही है जितनी...
عزیز بابا لحاف لپیٹ کر سو گیا۔ جانے رات کا کون سا پہر تھا۔ عزیز بابا کی آنکھ کھل گئی۔ کمرے میں خامشی تھی۔ حکیم جی کے خراٹوں کی آواز نہیں آ رہی تھی۔ اس نے اٹھ کر دروازہ بند کیا۔ ماچس تلاش کی اور چراغ جلایا۔۔۔ چراغ بھڑکا اور...
تارپین کا تیل ملاکر چندر لکھنے لگا، ’’پروفیسر کویراج نتیا نند تیواری۔۔۔‘‘ اوپر کی سطر، ’’شری دھنونتری اوشدھالیہ‘‘ خود ویدجی اپنے ہاتھ سے لکھ چکے تھے۔ سفیدے کے وہ حروف ایسے لگ رہے تھے جیسے روئی کے پھاہے چپکادیے گئے ہوں۔ اوپر جگہ خالی دیکھ کر ویدجی بولے، ’’بابو، اوپر...
मदीना न देखा तो कुछ न देखा जबकि उन्होंने मदीना कभी नहीं देखा था। शायद उनकी उन जैसे बहुतों की आप ही आप मुरक्कब की हुई ग़रीबी नाम की देवमाला थी जो अज़ल से चली आई थी और उसके क़ुर्ब-ओ-जवार में एक सांस दूसरी सांस तक या दरमियान में ही...
इश्क़ भी खेल है नसीबों काख़ाक हो जाएँ कीमिया हो जाएँ
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