aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "گڑیا"
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
1784 - 1850
शायर
कारा गनसकी
लेखक
सय्यद ज़ामिन हुसैन गोया
दी कलचरल अकादमी, गया
पर्काशक
गोया जहानाबादी
जमाअत-उल-ख़ामिसा जामिया अशरफ़िया मुबारकपुर, आजमगढ़
मोहम्मद ख़ान बहादुर गोया
मतबा मोहम्मदी,गया
सरदार करतार सिंह गयानी गोया
गया प्रशाद एण्ड संस पब्लिशर्स, आगरा
गोया पबलीशिंग, नई दिल्ली
बाबू गया प्रशाद
संपादक
सेंटर फ़ॉर सइंटिफ़िक एण्ड कल्चरल स्टडीज़, गया
पाकीज़ा ऑफ़सेट प्रेस, गया
शम्शी प्रेस, गया
इक 'उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिर्या से भी महरूमऐ राहत-ए-जाँ मुझ को रुलाने के लिए आ
ख़ुद को जाना जुदा ज़माने सेआ गया था मिरे गुमान में क्या
वो गुड़िया की शादी में लड़ना झगड़नावो झूलों से गिरना वो गिर के सँभलना
“हाँ मियाँ बड़े बूढ़ों से सुनते आए हैं। दूसरी तो तीसरी का सदक़ा होती है, उसी लिए पुराने ज़माने में लोग दूसरी शादी गुड़िया से कर दिया करते थे। ताकि फिर जो दुल्हन आए वो तीसरी हो।” बहनों ने समझाया और मामूँ समझ गए। फिर जल्द ही रुख़साना बेगम ने...
या जब से, जब वो मन्नतों मुरादों से हार गईं, चिल्ले बंधे और टोटके और रातों की वज़ीफ़ा ख़्वानी भी चित्त हो गई। कहीं पत्थर में जोंक लगती है। नवाब साहब अपनी जगह से टस से मस न हुए। फिर बेगम जान का दिल टूट गया और वो इल्म की...
रेख़्ता ने अपने पाठकों के अनुभव से, प्राचीन और आधुनिक कवियों की उन पुस्तकों का चयन किया है जो सबसे अधिक पढ़ी जाती हैं.
रूमान और इश्क़ के बग़ैर ज़िंदगी कितनी ख़ाली ख़ाली सी होती है इस का अंदाज़ा तो आप सबको होगा ही। इश्क़चाहे काइनात के हरे-भरे ख़ूबसूरत मनाज़िर का हो या इन्सानों के दर्मियान नाज़ुक ओ पेचीदा रिश्तों का इसी से ज़िंदगी की रौनक़ मरबूत है। हम सब ज़िंदगी की सफ़्फ़ाक सूरतों से बच निकलने के लिए मोहब्बत भरे लम्हों की तलाश में रहते हैं। तो आइए हमारा ये शेरी इन्तिख़ाब एक ऐसा निगार-ख़ाना है जहाँ हर तरफ़ मोहब्बत , लव, इश्क़ , बिखरा पड़ा है।
उर्पदू में र्तिबंधित पुस्तकों का चयन
गुड़ियाگڑیا
doll
Goya
जौन एलिया
काव्य संग्रह
Urdu Ka Ibtedai Zamana
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
आलोचना
Deewan-e-Hazrat Ali
हज़रत अली
दीवान
Makhzan-e-Adab
मौलवी मोहम्मद अब्दुल शहीद
पाठ्य पुस्तक
Nai Arab Duniya
मोहम्मद यूनुस निगरामी नदवी
विश्व इतिहास
Aur Insan Mar Gaya
रामा नन्द सागर
फ़िक्शन
Gudia Ghar
क़ुदसिया ज़ैदी
महिलाओं की रचनाएँ
Hindisi Raushni
हमीद असकरी
विज्ञान
Mushahidat
होश बिलग्रामी
आत्मकथा
Patthar Ki Gudiya
सरवत सौलत
बाल-साहित्य
Gudiya Ghar
नाटक / ड्रामा
मुमताज़ मुफ़्ती
Insani Duniya Par Musalmanon Ki Urooj-o-Zawal Ka Asar
अबुल हसन अली नदवी
Hamari Paheliya
सय्यद यूसुफ़ बुख़ारी
पहेली
Aur Main Sochta Rah Gaya
अजमल सिराज
ग़ज़ल
एक गुड़िया की कई कठ-पुतलियों में जान हैआज शाइ'र ये तमाशा देख कर हैरान है
तुम मुझ को गुड़िया कहते होठीक ही कहते हो!
कुछ नहीं चाहिए तुझ से ऐ मिरी उम्र-ए-रवाँमिरा बचपन मिरे जुगनू मिरी गुड़िया ला दे
ज्ञान की शूटिंग थी इसलिए किफ़ायत जल्दी सो गया। फ़्लैट में और कोई नहीं था, बीवी-बच्चे रावलपिंडी चले गए थे। हमसायों से उसे कोई दिलचस्पी नहीं थी। यूं भी बंबई में लोगों को अपने हमसायों से कोई सरोकार नहीं होता। किफ़ायत ने अकेले ब्रांडी के चार पैग पिए। खाना खाया,...
हम अपने बच्चों से कैसे कहें कि ये गुड़ियाहमारे बस में जो होती तो दिला देते
मन उस का है गुड़िया-घर में
लखनऊ के पहले दिनों की याद नवाब नवाज़िश अली अल्लाह को प्यारे हुए तो उनकी इकलौती लड़की की उम्र ज़्यादा से ज़्यादा आठ बरस थी। इकहरे जिस्म की, बड़ी दुबली-पतली, नाज़ुक, पतले पतले नक़्शों वाली, गुड़िया सी। नाम उसका फ़र्ख़ंदा था। उसको अपने वालिद की मौत का दुख हुआ। मगर...
नाम था मंझली का सीमाँगुड़िया सी नन्ही नादाँ
माई ताजो हर रात को एक घंटे तो ज़रूर सो लेती थी लेकिन लेकिन उस रात ग़ुस्से ने उसे इतना सा भी सोने की मोहलत न दी। पौ फटे जब वो खाट पर से उतर कर पानी पीने के लिए घड़े की तरफ़ जाने लगी तो दूसरे ही क़दम पर...
गुड़िया के जूतेजंपर जुराबें
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books