आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "अहल-ए-हवस"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "अहल-ए-हवस"
अन्य परिणाम "अहल-ए-हवस"
शेर
किस दर्जा मुनाफ़िक़ हैं सब अहल-ए-हवस 'साक़िब'
अंदर से तो पत्थर हैं और लगते हैं पानी से
आसिफ़ साक़िब
ग़ज़ल
ये अहल-ए-हवस हर गाम पे अपनी शान बदलते रहते हैं
मौसम के मुताबिक़ 'इशरत का सामान बदलते रहते हैं
अबुल फ़ितरत मीर ज़ैदी
नज़्म
नज़्म
आशिक़ वो अहल-ए-हवस के बीच में दो एक ऐसी ट्रॉफ़ियाँ थीं
सब को ये मालूम था टीमें बराबरी की रहेंगी
बिमल कृष्ण अश्क
ग़ज़ल
कल इसी बस्ती में कुछ अहल-ए-वफ़ा होते तो थे
इस क़दर अहल-ए-हवस की गर्म-बाज़ारी न थी