aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "जुनूबी"
अज़ीमुल हक़ जुनैदी
लेखक
ख़ुर्शीद जुनैदी
मौलवी मोहम्मद उमर जुनून
फ़ारूक़ जुनूँ
मोहम्मद महबूब जुनैदी
मोहम्मद अज़ीमुल हक़ जुनैदी
संपादक
जूनोबी एशिया परफॉर्मिंग आर्ट्स, अमेरिका
पर्काशक
ज़ूबी ठाकुर
अहमद जुनैदी
किताब ख़ाना ज़ुहूरी, तेहरान
आज़र ज़ूबी
नूर-ए-जूनूब, चेन्नई
नूर जनूब ,सह माही, चेन्नई
शाह वली उल्लाह जुनैदी
born.1966
इसके बा'द वहीं खड़े-खड़े उसने जल्दी-जल्दी नाम-ब-नाम सारी पुरानी दोस्तों के क़िस्से सुनाए। कौन कहाँ है और क्या कर रही है। सलीमा ब्रिगेडियर फ़लाँ की बीवी है। चार बच्चे हैं। फ़र्खंदा का मियाँ फॉरेन सर्विस में है। उसकी बड़ी लड़की लंदन में पढ़ रही है। रेहाना फ़लाँ कॉलेज में प्रिंसिपल...
सवाना तक एक तय्यारे में मुझे मुफ़्त की लिफ़्ट मिल गई और अब मैं पकसे में मौजूद हूँ। फिर कम्बोडिया जाऊंगा। मैं अंकल अनवर के पास चटागांग न जा सका क्योंकि बर्मा से मशरिक़ी पाकिस्तान दाख़िल होने में बड़ी दिक्कतें थीं। मैंने सुर्ख़ चीन और शुमाली वियतनाम के लिए वीज़ा...
न आशिक़ी जुनून कीकि ज़िंदगी अज़ाब हो
दूसरी मुलाक़ात पर गौतमा ने हम दोनों को अपने बूढ़े बाप से मिलाया और फिर एक रोज़ उसने हमें अपने घर चाय पर आने की दावत दे दी। उस रोज़ पाल के सूट का रंग हल्का फ़ाख़्तई था और चॉकलेट रंग की छोटे-छोटे बसंती फूलों वाली टाई उसे बड़ी सज...
कलकत्ता में हमारे मुल्क की तरह राशनिंग नहीं है। ग़िज़ा के मुआ’मले में हर शख़्स को मुकम्मल शख़्सी आज़ादी है। वो बाज़ार से जितना अनाज चाहे ख़रीद ले कल ममलिकत टली के कौंसिल ने मुझे खाने पर मदऊ’ किया। छब्बीस क़िस्म के गोश्त के सालन थे। सब्ज़ियों और मीठी चीज़ों...
शायरी में गिरेबान तभी गरेबान है जब वो चाक हो। गरेबान का चाक होना, पैरों में आबले आ जाना, दामन का तारतार हो जाना ही आशिक़ के जुनून ओ दीवानगी का कमाल है। हम सही सलामत गरेबान वालों को चाक-गरेबानी का ये क़िस्सा भी पढ़ना चाहिए और जुनून की तस्वीर देखनी चाहिए।
शायरी में इश्क़ की कहानी पढ़ते हुए आप बार बार सहरा से गुज़रे होंगे। ये सहरा ही आशिक़ की वहशतों और उस की जुनूँ-कारी का महल-ए-वक़ू है। यही वह जगह है जहाँ इश्क़ का पौदा बर्ग-ओ-बार लाता है। सहरा पर ख़ूबसूरत शायरी का ये इन्तिख़ाब पढ़िए।
साहित्य का समाज से गहरा रिश्ता है । साहित्य को समाज का आईना भी कहा गया है । इसलिए कहा जाता है कि शायरी अपनी प्रस्तुति में कितनी भी निराकार और काल्पनिक क्यों न हो उसके सामाजिक सरोकार से इंकार नहीं किया जा सकता । शायरी अपनी अभिव्यक्ति में समाज और सामाजिक सरोकारों से संवाद करती है और इसी संवाद के सहारे क्रांति और इंक़लाब की ज़ोर-दार आवाज़ बनती है । अपनी शायरी और रचनाओं के माध्यम से रचनाकारों ने हमेशा समाज में परिवर्तन के इतिहास को प्रभावित किया है और इंक़लाब को मुखर बनाने में मुख्य भूमिका निभाई है । असल में साहित्य ने हर ज़माने में ज़ुल्म,अत्याचार और अन्याय के विरोध में आवाज़ बनने की कोशिश की है और समाज को जगाने की चेष्टा भी । शायरी के माध्यम से समाज में आंतरिक जागरूकता लाने की कोशिश का नाम ही क्रांति और इंक़लाब है । क्रांति और इंक़लाब के जज़्बे को पैदा करने वाली चुनिंद शायरी का एक संकलन यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है आप इस को पढ़ते हुए अपने अंदर जोश-ओ-जुनून और वलवले को महसूस करेंगे ।
जुनूबीجنوبی
south
दक्षिणीय, दक्खिन का।।
जुनूबी युरोप पर अरबों के हमले
अमीर शकीब अरसलान
विश्व इतिहास
जुनूबी-ओ-शुमाली हिन्द की तारीख़ी मस्नवियाँ
कुंदन लाल कुंदन
मसनवी तन्क़ीद
तारीख़-ए-जुनूबी हिन्द
इतिहास
Urdu Adab Ki Tareekh
Urdu Shikshak
जुनूब मग़रिबी एशिया में हमारा तहज़ीबी वर्सा
तनवीर अहमद अल्वी
शोध एवं समीक्षा
Hayat-e-Aasif
जीवनी
तजदीद-ए-जुनून
राब्रट कन्कुइस्ट
नज़्म
जुनूँ ख़्वाब
फ़राग़ रोहवी
रुबाई
हर्फ़ हर्फ़ जुनूँ
सय्यद आशूर काज़मी
काव्य संग्रह
Mah-Paikar
संकलन
जुनूँ किनारा
असअ'द बदायुनी
नाज़िश-ए-जुनूँ
नईमा जाफ़री पाशा
उपन्यास
दीवान-ए-ख्याल-ए-जानान
दीवान
“मियाऊं।”, पड़ोस की बालकनी से बिल्ली धम से उनकी बालकनी में कूदी मगर दोनों बहनों में से किसी को मामूँ की हिदायत का ख़याल न आया, फिर ये डयूटी तो मामूँ ज़ुहरा के सपुर्द कर गए थे। सितारा को हक़ था कि वो रियाज़ के बारे में सोचने लगे। रियाज़...
भोले ने रूठते हुए जवाब दिया, “मैं तुम्हारा भोला नहीं बाबा। मैं माता जी का भोला हूँ।” भोला भी जानता था कि मैंने उसकी ऐसी बात कभी बर्दाश्त नहीं की। मैं हमेशा उससे यही सुनने का आदी था कि “भोला बाबा-जी का है और माता जी का नहीं”, मगर उस...
डाक्टर (मिस) पदमा मैरी अबराहाम क्रेन। उ’म्र 29 साल, ता’लीम: ऐम.ऐस.सी. (मद्रास) पी.ऐच.डी. (कोलंबिया), क़द: पाँच फ़ुट 2 इंच, रंगत: गंदुमी, आँखें: सियाह, बाल: सियाह, शनाख़्त का निशान: बाईं कनपटी पर भूरा तिल, वतन: कोचीन (रियासत केरला), मादरी ज़बान: मलयालम, आबाई मज़हब: सीरियन चर्च आफ़ मालाबार, ज़ाती अ’क़ाइद: कुछ नहीं,...
गुलचहर: (खिड़की से बाहर झाँक कर) नहीं... नीचे पोरटीको में खड़ी तो है। क्या घटाटोप अँधेरा है... (ज़रा तवक़्क़ुफ़ के बा’द) इस तरह क़दीम शानदार जार्जियन मकान जुनूबी स्टेट्स में भी मौजूद हैं। कौटन प्लांटेशन्ज़ पर... हमारी मेज़बान कहाँ चली गईं? दाराब: बेचारियाँ हमारे लिए डिनर का इंतिज़ाम करने गई...
मैंने दुनिया के नक़्शे में उसे स्विट्ज़रलैण्ड को दिखाने की कोशिश शुरू कर दी। लेकिन कम्बख़्त स्विट्ज़रलैण्ड इतना छोटा निकला कि उस पर जब-जब उंगली रखता तो पूरे का पूरा स्विट्ज़रलैण्ड ग़ायब हो जाता था। बिल-आख़िर क़लम की नोक से स्विट्ज़रलैण्ड के हुदूद-ए-अर्बा उस पर वाज़ेह किए तो बोली, “ये...
फिर जुनूबी इंग्लिस्तान के उसके फ़िज़ाई मुस्तक़र से उसका सामान घर भेजा गया... किताबें... पिक्चर पोस्टकार्ड... डरमर ब्वॉय टॉफ़ी के डिब्बे, ढेरों तस्वीरें जो उसने मुख़्तलिफ़ मुक़ामात पर उतारी थीं... वो अधूरे ख़त जो कभी पोस्ट न किए जा सके। हवा का एक तेज़ झोंका एक नीले काग़ज़ के छोटे-छोटे...
“मुमताज़ भाई-जान हमें अपना पाइप दे दोगे? हम उसे स्नोमैन के मुँह में ठूँसेंगे”, दूसरे बच्चे ने कहा। “कल सुब्ह शुमाल में हल्के-हल्के छींटे पड़ेंगे। और शुमाल मग़रिब में आँधी के साथ बारिश होगी। जुनूबी बलूचिस्तान और सिंध का मौसम ख़ुश्क रहेगा”, साहिब-ए-ख़ाना ने नाक पर ऐ'नक रखकर अख़बार उठाया...
“देखो यरक़ान, सच्ची बात है कि मैंने ज़िंदगी में पहली मर्तबा कोलंबिया के बारे में कोई ख़बर पढ़ी है। मैं वाक़ई कोलंबिया के बारे में कुछ नहीं जानता। इस पूरे मुल्क के चरिंद-परिंद और इंसानों के बारे में कुछ नहीं जानता, सिवाए इसके कि जुनूबी अमेरीकी मुसन्निफ़ गार्सिया मार्केज वहाँ...
ब्रश उसी तरह जामिद है। अभी इस ख़ाके में एक रंग भी नहीं भर सका। तख़य्युल कोई दूसरी राह इख़्तियार करे और ये सोचे कि इसकी ता'लीम-ओ-तर्बियत क्या हो, तो यहाँ भी अ'जीब पेचीदगियाँ दिखाई देती हैं। स्कूलों और कॉलिजों में जो ता'लीम है, वो भी माज़ी से इस क़दर...
मिसिज़-साला-माँका की आँखेंकि जिन के उफ़ुक़ हैं जुनूबी समुंदर की नीली रसाई से आगे
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