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नज़्म
तराना
कर देंगे हम इस पर अपना तन मन धन क़ुर्बान
सब से अच्छा सब से न्यारा प्यारा हिन्दोस्तान
ज़फ़र कमाली
क़ितआ
होली तन-मन फूँक रही है दूर सखी गिरधारी है
दिल भी टुकड़े टुकड़े है और ज़ख़्म-ए-जिगर भी कारी है
मास्टर बासित बिस्वानी
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हिंदी ग़ज़ल
सब रंग उड़े हैं तन-मन के किस मुँह से गाऊँ फाग सखी
मैं तोसे पीर कहूँ मन की मैं साजन पायो घाग सखी