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हिंदी ग़ज़ल
अब किसी को भी नज़र आती नहीं कोई दरार
घर की हर दीवार पर चिपके हैं इतने इश्तिहार
दुष्यंत कुमार
तंज़-ओ-मज़ाह
मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
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विषय
दयार
दयार शायरी
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ग़ज़ल
ज़रा सा झाँक लो इन बे-क़रार आँखों में
दिखाई देगा तुम्हारा दयार आँखों में