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नज़्म
एक लड़का
वो ख़ामा-सोज़ी शब-बेदारियों का जो नतीजा हो
उसे इक खोटे सिक्के की तरह सब को दिखाना है
अख़्तरुल ईमान
ग़ज़ल
वफ़ा का यूँ तो दम भरते हैं इस दुनिया में सब लेकिन
वफ़ा के नाम पर मिट कर दिखाना किस को आता है
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
मुझे ऐ नाख़ुदा आख़िर किसी को मुँह दिखाना है
बहाना कर के तन्हा पार उतर जाना नहीं आता