aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "पहन"
पवन कुमार
शायर
पवन वर्मा
born.2002
पवन शर्माा
लेखक
पवन किरन
तकल्लुम पब्लिकेशन, पून
पवन कुमारी
पवन चोपडा
योगदानकर्ता
पहले पहल प्रकाशन, भोपाल
पर्काशक
पैन बुक्स लिमिटेड, लंदन
पाक पिन कलब, कराची
पेन ऐन्ड पेपर पब्लिकैशन, लाहौर
पवन के. वर्मा
born.1953
संपादक
“लेकिन मेरी समझ में नहीं आता, उस रात तुम्हें क्या हुआ?... अच्छे भले मेरे साथ लेटे थे, मुझे तुमने वो तमाम गहने पहना रखे थे जो तुम शहर से लूट कर लाए थे। मेरी भपियां ले रहे थे, पर जाने एक दम तुम्हें क्या हुआ, उठे और कपड़े पहन कर...
तो एक इक हर्फ़ जी उठेगापहन के अन्फ़ास की क़बाएँ
ऐसे ही एक आदमी ने गर्दन ऊंची करके सुल्ताना की तरफ़ देखा। सुल्ताना मुस्कुरा दी और उसको भूल गई क्योंकि अब सामने पटड़ियों पर एक इंजन नुमूदार होगया था। सुल्ताना ने गौर से उसकी तरफ़ देखना शुरू किया और आहिस्ता आहिस्ता ये ख़याल उसके दिमाग़ में आया कि इंजन ने...
जंग से पहले रणधीर नागपाड़ा और ताजमहल होटल की कई मशहूर-ओ-मारूफ़ क्रिस्चियन लड़कियों से जिस्मानी तअल्लुक़ात क़ायम कर चुका था। उसे बख़ूबी इल्म था कि इस क़िस्म के तअल्लुक़ात की क्रिस्चियन लड़कों के मुक़ाबले में कहीं ज़्यादा मालूमात रखता था जिनसे ये छोकरियां आम तौर पर रोमांस लड़ाती हैं और...
क्यूँ मिरी शक्ल पहन लेता है छुपने के लिएएक चेहरा कोई अपना भी ख़ुदा का होता
तन्हाई के विषय पर चयन क्ये हुए ये शेर पढ़िए जो तन्हा होते हुए भी आप के अकेले-पन को भर देंगे और तनहाई को जीने का एक नया अनुभव देंगे.
तौबा, उर्दू की मधुशाला शायरी की मूल शब्दावली है । तौबा को विषय बनाते हुए उर्दू शायरी ने अपने विषय-वस्तु को ख़ूब विस्तार दिया है । ख़ास बात ये है कि पश्चाताप का विषय उर्दू शायरी में शोख़ी और शरारत के पहलू को सामने लाता है । मदिरा पान करने वाला पात्र अपने उपदेशक के कहने पर शराब से तौबा तो करता है लेकिन कभी मौसम की ख़ुशगवारी और कभी शराब की प्रबल इच्छा की वजह से ये तौबा टूट जाती है । यहाँ प्रस्तुत चुनिंदा शायरी में आप उपदेशक और शराब पीने वाले की शोख़ी और छेड़-छाड़ का आनंद लीजिए ।
ये शायरी महफ़िल की रंगीनियों, चहल पहल और साथ ही महफ़िल के अनदेखे दुखों का बयान है। इस शेरी इंतिख़ाब को पढ़ कर आप एक लम्हे के लिए ख़ुद को महफ़िल की उन्हें सूरतों में घिरा हुआ पाएँगे।
पहनپہن
wear
put on
चौड़ा-चकला, विस्तृत, महान्, अज़ीम ।
Aurat Mere Andar Ki
कविता
वाजिद अली शाह और अवध राज्य का पतन
परिपुर्णानन्द
भारत का इतिहास
पिछले पहर
जाँ निसार अख़्तर
काव्य संग्रह
Aatish-e-Dasht
शिक्षाप्रद
Raja Girdhari Parshad Baqi Aur Unke Khandan Ki Urdu Adabi Khidmat
मैं घर से तेरी तमन्ना पहन के जब निकलूँबरहना शहर में कोई नज़र न आए मुझे
ये कह के ओढ़ ली सर-ए-पुर-नूर पर रिदामोज़े पहन के गोद में शब्बीर को लिया
छंद हो दफ़्न गएसाथ के सभी दिए धुआँ धुआँ पहन गए
पुल के जंगले का सहारा लेकर में एक अरसे से उस का इंतेज़ार कर रहा था। सै पहर ख़त्म हो गई। शाम आ गई, झील वलर को जाने वाले हाऊस बोट, पुल की संगलाख़ी मेहराबों के बीच में से गुज़र गए और अब वो उफ़ुक़ की लकीर पर काग़ज़ की...
जब से शुजाअ'त मामूँ का हाज़मा जवाब दे गया था, मुमानी सिर्फ़ बच्चों के लिए गोश्त वग़ैरह मँगाती थीं। कभी-कभार एक निवाला ख़ुद चख लेती थीं, अब उससे भी परहेज़ कर लिया। सबको उम्मीद बंध गई कि अब इंशाअल्लाह ज़रूर बुढ़ापा तशरीफ़ ले आएगा। “ए भाभी, ये क्या उछाल छक्का...
सियाह रंग चमकती हुई कनारी हैपहन लो अच्छी लगेंगी घटाएँ भेजी हैं
गर्मी लगी तो ख़ुद से अलग हो के सो गएसर्दी लगी तो ख़ुद को दोबारा पहन लिया
कमरा बहुत छोटा था जिसमें बेशुमार चीज़ें बेतर्तीबी के साथ बिखरी हुई थीं। तीन चार सूखे सड़े चप्पल पलंग के नीचे पड़े थे जिनके ऊपर मुँह रख कर एक ख़ारिश ज़दा कुत्ता सो रहा था और नींद में किसी ग़ैरमरई चीज़ को मुँह चिड़ा रहा था। उस कुत्ते के बाल...
जब ट्रंक का ढकना खुला और नए लट्ठे की बू उसकी नाक तक पहुंची तो उसके दिल में ख़्वाहिश पैदा हुई कि नहा-धो कर और ये नए कपड़े पहन कर वो सीधा शकीला बीबी के पास जाये और उसे सलाम करे... उसकी लट्ठे की शलवार किस तरह खड़ खड़ करेगी...
उन औरतों के लिए जो इलाक़ा मुंतख़ब किया गया वो शह्र से छः कोस दूर था। पाँच कोस तक पक्की सड़क जाती थी और इससे आगे कोस भर का कच्चा रास्ता था। किसी ज़माने में वहाँ कोई बस्ती होगी मगर अब तो खंडरों के सिवा कुछ न रहा था। जिनमें...
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