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शेर
शिबली नोमानी
ग़ज़ल
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
मस्त हो कर उस की ख़ुशबू से गिरा था बच गया
जब सँभलने को वो ज़ुल्फ़-ए-मुश्क-सा पकड़ी गई