aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "मुकम्मल"
साहिर लुधियानवी
1921 - 1980
शायर
इब्न-ए-इंशा
1927 - 1978
नज़ीर अकबराबादी
1735 - 1830
इक़बाल साजिद
1932 - 1988
फ़ानी बदायुनी
1879 - 1941
रईस अमरोहवी
1914 - 1988
नवाज़ देवबंदी
born.1956
बाक़ी सिद्दीक़ी
1905 - 1972
वाजिद अली शाह अख़्तर
1823 - 1887
शाह नसीर
1756 - 1838
आग़ा हश्र काश्मीरी
1879 - 1935
जहाँगीर नायाब
born.1985
हफ़ीज़ बनारसी
1933 - 2008
अली जवाद ज़ैदी
1916 - 2004
अख़्तर अंसारी अकबराबादी
1920 - 1958
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलताकहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता
अपने एहसास से छू कर मुझे संदल कर दोमैं कि सदियों से अधूरा हूँ मुकम्मल कर दो
कुछ मुश्किलें ऐसी हैं कि आसाँ नहीं होतींकुछ ऐसे मुअम्मे हैं कभी हल नहीं होते
बिशन सिंह बड़बड़ाता हुआ चला गया, “ओपड़ दी गुड़ गुड़ दी अनैक्स दी बे ध्याना दी मंग दी दाल ऑफ़ पाकिस्तान ऐंड हिंदोस्तान आफ़ दी दुरफ़टे मुँह।”तबादले की तैयारियां मुकम्मल हो चुकी थीं। इधर से उधर और उधर से इधर आने वाले पागलों की फ़हरिस्तें पहुंच गई थीं और तबादले का दिन भी मुक़र्रर हो चुका था।
महत्वपूर्ण आधुनिक शायर और फ़िल्म गीतकार। अपनी ग़ज़ल ' कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता ' के लिए प्रसिध्द
महत्वपूर्ण आधुनिक शायर और फ़िल्म गीतकार। अपनी ग़ज़ल ' कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता ' के लिए प्रसिध्द।
मुकम्मलمکمل
perfect, complete
मुकम्मल राजतरंगिणी
पंडित कल्हण
इतिहास
उर्दू का मुकम्मल वाग़ी शाइर कबरी
बलजीत सिंह मतीर
शायरी तन्क़ीद
मुल्ला दो पियाज़ह की मुकम्मल सवानेह उमरी
मौलवी अली मोहम्मद
हास्य-व्यंग
मुक़द्दमा आब-ए-हयात
मोहम्मद हुसैन आज़ाद
हिंदुस्तान की जंग-ए-आज़ादी में मुसलमानों का हिस्सा
मुहम्मद मुज़फ़्फ़रुद्दीन फ़ारूक़ी
भारत का इतिहास
बाक़ियात-ए-फ़ानी
शेष-रचनाएं
मुकम्मल मजमुआ-ए-लेक्चर्स-ओ-स्पीचेस
मोहम्मद इमामुद्दीन
कुल्लियात-ए-फ़ानी
कुल्लियात
Ilm-ul-Maeeshat
मुहम्मद इक़बाल
अर्थशास्त्र
Tafseer Ibn-e-Jareer
अबू जाफ़र मुहम्मद बिन जरीर अत्तबरी
इस्लामियात
Tarjuma-e-Tareekh-e-Tabri
इस्लामिक इतिहास
वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान हैमाथे पे उस के चोट का गहरा निशान है
ज़ुल्म और सब्र का ये खेल मुकम्मल हो जाएउस को ख़ंजर जो दिया है मुझे सर भी देना
सब ख़्वाहिशें पूरी हों 'फ़राज़' ऐसा नहीं हैजैसे कई अशआर मुकम्मल नहीं होते
घर की इस बार मुकम्मल मैं तलाशी लूँगाग़म छुपा कर मिरे माँ बाप कहाँ रखते थे
रंग-ए-महफ़िल चाहता है इक मुकम्मल इंक़लाबचंद शम्ओं के भड़कने से सहर होती नहीं
चाँद सा मिस्रा अकेला है मिरे काग़ज़ परछत पे आ जाओ मिरा शेर मुकम्मल कर दो
ये 1919 ई. की बात है भाई जान, जब रूल्ट ऐक्ट के ख़िलाफ़ सारे पंजाब में एजिटेशन हो रही थी। मैं अमृतसर की बात कर रहा हूँ। सर माईकल ओडवायर ने डिफ़ेंस आफ़ इंडिया रूल्ज़ के मातहत गांधी जी का दाख़िला पंजाब में बंद कर दिया था। वो इधर आ रहे थे कि पलवाल के मुक़ाम पर उनको रोक लिया गया और गिरफ़्तार कर के वापस बम्बई भेज दिया गया। जहां तक मैं समझता हूँ भाई जान, अगर अं...
अफ़साना निगार के लिए ये चंद इशारे मिर्ज़ा ग़ालिब की रूमानी ज़िंदगी का नक़्शा तैयार करने में काफ़ी मदद दे सकते हैं। रूमान की पुरानी मुसल्लस तो “सितम पेशा डोमनी” और “कोतवाल दुश्मन था” के मुख़्तसर अलफ़ाज़ ही मुकम्मल कर दिए हैं।सितम पेशा डोमनी से मिर्ज़ा ग़ालिब की मुलाक़ात कैसे हुई। आईए हम तसव्वुर की मदद से उस की तस्वीर बनाते हैं।
अब मिरा ध्यान कहीं और चला जाता हैअब कोई फ़िल्म मुकम्मल नहीं देखी जाती
बस तिरा नाम ही मुकम्मल हैइस से बेहतर भी नज़्म क्या होगी!
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books