aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "रियासत"
शौक़ बहराइची
1884 - 1964
शायर
फ़हमीदा रियाज़
1946 - 2018
रियाज़ ख़ैराबादी
1853 - 1934
रियासत अली ताज
born.1930
रियाज़ मजीद
born.1942
राम रियाज़
1933 - 1990
रियासत अली असरार
सालिक लखनवी
1913 - 2013
आमिर रियाज़
born.1993
तरन्नुम रियाज़
1960 - 2021
लेखक
रियाज़ लतीफ़
born.1964
अहमद रियाज़
राजीव रियाज़ प्रतापगढ़ी
मुस्कान सय्यद रियाज़
born.1987
रियाज़ ग़ाज़ीपुरी
born.1937
आनंदी एक बड़े ऊँचे ख़ानदान की लड़की थी। उसके बाप एक छोटी सी रियासत के तअल्लुक़ेदार थे। आलीशान महल। एक हाथी, तीन घोड़े, पाँच वर्दी-पोश सिपाही। फ़िटन, बहलियाँ, शिकारी कुत्ते, बाज़, बहरी, शिकरे, जर्रे, फ़र्श-फ़रोश शीशा-आलात, ऑनरेरी मजिस्ट्रेटी और क़र्ज़ जो एक मुअ’ज़्ज़ज़ तअल्लुक़ेदार के लवाज़िम हैं। वो उनसे बहरा-वर...
किताबों की रियासत बंदे से ज़ियादा हैरियासत में
मिर्ज़ा, “रखेंगे तो आपके फ़रिश्ते। आपकी हक़ीक़त ही क्या है।” बात बढ़ गई। दोनों अपने टेक के धनी थे। न दबता था न वो तकरार में ला-मुहाला ग़ैर-मुतअल्लिक़ बातें होने लगती हैं जिनका मंशा ज़लील और ख़फ़ीफ़ करना होता है, मिर्ज़ा जी ने फ़रमाया, “अगर ख़ानदान में किसी ने शतरंज...
दो भाई थे। अल्लाह रक्खा और अल्लाह दत्ता। दोनों रियासत पटियाला के बाशिंदे थे। उनके आबा-ओ-अजदाद अलबत्ता लाहौर के थे मगर जब इन दो भाईयों का दादा मुलाज़मत की तलाश में पटियाला आया तो वहीं का हो रहा। अल्लाह रक्खा और अल्लाह दत्ता दोनों सरकारी मुलाज़िम थे। एक चीफ़ सेक्रेटरी...
फ़न-ए-जंग या फ़न-ए-सहाफ़त की रौ से आज कल इस तरह के वज़ाईफ़ ज़रूरी और नफ़ा बख़्श ख़याल किए जाते हैं। जिस तरह हर मालदार शरीफ़ या ख़ुशनसीब नहीं होता इस तरह हर चारपाई नहीं होती। कहने को तो पलंग पलंगड़ी। चौखट मुसहरी। सब पर इस लफ़्ज़ का इतलाक़ होता है...
पाकिस्तानी शायरा। अपने स्त्री-वादी और संस्था-विरोधी विचारों के लिए प्रसिद्ध
दोहा हिन्दी, उर्दू शायरी की मुमताज़ और मक़बूल सिन्फ़-ए- सुख़न है जो ज़माना-ए-क़दीम से ता-हाल एतबार रखती है। दोहा हिन्दी शायरी की सिन्फ़ है जो अब उर्दू में भी एक शेअरी रिवायत के तौर पर मुस्तहकम हो चुकी है। यहाँ कुछ सब से चुनिंदा दोहों को पेश किया जा रहा है कि आप इस ख़ूबसूरत विधा को पढ़ने का सफ़र आग़ाज़ कर सकें।
महबूब के बारे मे कौन सुनना या कुछ सुनाना नहीं चाहता। एक आशिक़ के लिए यही सब कुछ है कि महबूब की बातें होती रहें और उस का तज़किरा चलता रहे। महबूब के तज़किरे की इस रिवायत में हम भी अपनी हिस्से दारी बना रहे हैं। हमारा ये छोटा सा इन्तिख़ाब पढ़िए जो महबूब की मुख़्तलिफ़ जहतों को मौज़ू बनाता है।
रियासतریاست
government, dominion, sway, rule
अध्यक्षता, स्वामित्व, सरदारी, सत्ता, शासन, हुकूमत, बड़ी ज़मींदारी, जागीरदारी, जागीर, इलाक़ा।
तारीख़-ए-रियासत हैदराबाद दकन
मुंशी नवल किशोर के प्रकाशन
इस्लामी निज़ाम-ए-तालीम
सय्यद रियासत अली नदवी
इस्लामियात
Ahd-e-Risalat Wa Khilafat-e-Rashida
इस्लामिक इतिहास
उर्दू तदरीस जदीद तरीक़े और तक़ाज़े
रियाज़ अहमद
इतिहास
Farsi Adab Ki Mukhtasar Tareen Tareekh
मोहम्मद रियाज़
तर्जुमा का फ़न और रिवायत
क़मर रईस
मज़ामीन / लेख
मीरास-ए-अदब उर्दू रियासत
अख़्तर मिर्ज़ा
शोध
Toofan
सय्यद रियासत हुसैन रिज़वी
तद्वीन तहक़ीक़ रिवायत
रशीद हसन ख़ाँ
तारीख़-ए-सक़लिय्या
तर्जुमा: रिवायत और फ़न
निसार अहमद कुरैशी
अनुवाद: इतिहास एवं समीक्षा
पाकिस्तान नागुज़ीर था
सय्यद हसन रियाज़
Urdu Mein Naat Goi
Ahd-e-Islami Ka Hindustan
Shoora Ki Sharai Haisiyat
माैलाना रियासत अली
वग़ैरा। आपने ग़ौर किया कि हम जब इस शे’र का मतलब नस्र में बयान करने बैठेंगे तो हमें कोई ऐसी बात कहनी होगी जिससे तीर खाने के बाद पैदा होने वाली सूरत-ए-हाल पर रोशनी पड़ सके। अच्छा फ़र्ज़ कीजिए उसकी ज़रूरत नहीं है कि हम नस्री जुमला मुकम्मल करने के...
इस जिन्स के बारे में एक मायूसकुन इन्किशाफ़ ये भी हुआ कि ख़्वाह आप मोती चुगाएं, ख़्वाह सोने का निवाला खिलायें मगर उसको कीड़े-मकोड़े, झींगुर, भुनगे, चियूंटे और केचुवे खाने से बाज़ नहीं रख सकते, और मैं ये बावर करने के लिए तैयार नहीं कि इसका असर-ओ-नफ़ूज़ अंडे में न...
"तो फिर क्या है", मैंने इत्मिनानिया लहजे में कहा। इसके बाद ही लाला जी पर रोग़न क़ाज़ की ख़ूब ही मालिश की गई। इस सिलसिले में लाला जी से कुछ अजीब ही तरह के बड़े गहरे ताल्लुक़ात क़ायम हो गए क्योंकि लाला जी मारवाड़ी थे और में भी मारवाड़ी हूँ...
बस आप के नज़दीक तो ऐ हज़रत-ए-वाइज़आयत है बड़ी चीज़ रिवायत है बड़ी चीज़
यज़ीद के बड़े मद्दाह थे और इमाम हुसैन अ. की शान में बकवास किया करते थे। लोगों से घंटों बहस होती थी। कहते थे मैंने ख़्वाब में देखा कि हज़रत इमाम हुसैन अ.स. खड़े हैं, उधर से यज़ीद लईन आया, आपके पैर पकड़ लिए, गिड़गिड़ाया, हाथ जोड़े तो आपका ख़ून...
हैदराबाद में तो नौकर थे ही वहां कोशिश कर के रियासत की तरफ़ से मुझे भिजवाया। पाँच बरस की मेहनत-ए-शाक़ा के बाद बफ़ज़ले ख़ुदा मैं एम.डी. हो कर वापस आ गया और रियासत में सिवल सर्जन मुक़र्रर किया गया। इसके एक साल बाद ही वालिद-ए-माजिद का साया मेरे सर से...
कोई और मामूली दिन होता तो कमबख़्तों से कहा जाता बाहर काला मुँह कर के ग़दर मचाओ लेकिन चंद रोज़ से शह्र की फ़िज़ा ऐसी ग़लीज़ हो रही थी कि शह्र के सारे मुसलमान एक तरह से नज़रबंद बैठे थे। घरों में ताले पड़े थे और बाहर पुलिस का पहरा...
ड्राइंगरूम में तो ज़रूर होगा। वो उठकर ड्राइंगरूम में गई और क़द-ए-आदम शीशा में अपनी सूरत देखी, उसके ख़द्द-ओ-ख़ाल बे ऐब हैं। मगर वो ताज़गी वो शगुफ़्तगी वो नज़र फ़रेबी नहीं है। राम दुलारी आज खुली है और उसे खुले हुए ज़माना हो गया लेकिन इस ख़याल से उसे तस्कीन...
मैं क़ौम का तुर्क सलजूक़ी हूँ। दादा मेरा मावराउन्नहर से शाह आलम के वक़्त में हिंदुस्तान आया... बाप मेरा अबदुल्लाह बेग ख़ां बहादुर लखनऊ जाकर आसिफ़ उद्दौला का नौकर हुआ, फिर हैदराबाद में नवाब निज़ाम अली ख़ां का मुलाज़िम हुआ। वो नौकरी एक ख़ाना-जंगी के बखेड़े में जाती रही। अलवर...
डाक्टर (मिस) पदमा मैरी अबराहाम क्रेन। उ’म्र 29 साल, ता’लीम: ऐम.ऐस.सी. (मद्रास) पी.ऐच.डी. (कोलंबिया), क़द: पाँच फ़ुट 2 इंच, रंगत: गंदुमी, आँखें: सियाह, बाल: सियाह, शनाख़्त का निशान: बाईं कनपटी पर भूरा तिल, वतन: कोचीन (रियासत केरला), मादरी ज़बान: मलयालम, आबाई मज़हब: सीरियन चर्च आफ़ मालाबार, ज़ाती अ’क़ाइद: कुछ नहीं,...
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