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नज़्म
पैग़ाम ईद
अपनी आँखों में ख़मिस्तान-ए-मय-ए-नाब लिए
अपने आरिज़ पे बहार-ए-गुल-ए-शादाब लिए
हफ़ीज़ बनारसी
शेर
तिश्ना-लबी रहीन-ए-मय-ए-तल्ख़ है तो क्या
शीरीनी-ए-हयात की लज़्ज़त कहाँ से लाएँ
ताबिश हमदून उस्मानी
ग़ज़ल
जब कभी आया तो ज़िक्र-ए-मय-ए-गुलफ़ाम आया
कुफ़्र आया तिरे रिंदों को न इस्लाम आया
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
शेर
सुराही-ए-मय-ए-नाब-ओ-सफीना-हा-ए-ग़ज़ल
ये हर्फ़-ए-हुस्न-ए-मुक़द्दर लिखा है किस के लिए
अकबर अली खान अर्शी जादह
नज़्म
कैफ़-ओ-रंग
ये मय ये फ़ज़ाएँ ये जुनूँ-रेज़ नज़ारे
ऐ काश मुझे कोई हसीं लय में पुकारे