aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "हथियार"
हेमा काण्डपाल हिया
born.1998
शायर
होश बिलग्रामी
लेखक
पंडित अमर नाथ होशियार पुरी
born.1921
क़मर होशियार पुरी
अनुवादक
लाला केवल राम होशयार
1831 - 1905
पंडित होशियार सिंह
मतीर होशियार पुरी
लाला देवी दीयाल गुप्ता एंड संस मालिकान गुप्ता, हिसार
पर्काशक
दिव्यलोक प्रकाशन, हिसार
किताबख़ाना सुलैमानी, हिसार
मैनेजर दारुल-कुतुब सुलैमानी, हिसार
अल-हदिया इबने अब्दुर्रहीम चिश्ती
जंग का हथियार तय कुछ और थातीर सीने में उतारा और है
मेरा हथियारअपनी वफ़ा पर भरोसा है और कुछ नहीं
ये जंग ख़ुदा जाने किस नामुबारक रोज़ शुरू हुई कि अब मेरी ज़िंदगी का एक जुज़्व बन के रह गई है। दिन हो या रात जब कभी मुझे फ़ुर्सत के चंद लम्हात मयस्सर आते हैं, मेरे सीने के चटियल मैदान पर मेरा नातिक़ वजूद और जज़्बाती वजूद हथियार बांध कर...
बुद्धू ने चोट खाई हुई भेड़ों की तरफ़ देखते हुए कहा, "झींगुर, तुमने ये अच्छा काम नहीं किया, पछताओगे।" केले का कांटा भी उतना आसान नहीं, जितना किसान से बदला लेना। उनकी सारी कमाई खेतों में रहती है या खलियानों में, कितनी अर्ज़ी-ओ-समावी आफ़ात के बाद अनाज घर में आता...
सन सैंतालीस के हंगामे आए और गुज़र गए। बिल्कुल उसी तरह जिस मौसम में ख़िलाफ़-ए-मा’मूल चंद दिन ख़राब आएं और चले जाएं। ये नहीं कि करीम दाद, मौला की मर्ज़ी समझ कर ख़ामोश बैठा रहा। उसने उस तूफ़ान का मर्दानावार मुक़ाबला किया था। मुख़ालिफ़ कुव्वतों के साथ वो कई बार...
हथियारہتھیار
arms
जादू की हंडिया
किश्वर नाहीद
कहानी
Risala Siyar-ul-Aqtab Urdu
सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
Siyar-ul-Aqtab
चिश्तिय्या
हिसार-ए-अाब
हयात लखनवी
काव्य संग्रह
Funoon-e-Hikmat
हिसार-ए-इमकाँ
अब्दुल्लाह जावेद
Shumara Number-001
सय्यद हैदर हुसैनी
Sep 1898तोहफ़ा-ए-हंफ़िया
Shumara Number-005
तोहफ़ा-ए-हंफ़िया
Farhang-e-Aarifan
समा और अन्य शब्दावलियाँ
Makhzan-ul-Adviya
औषधि
प्रो. मुज़फ़्फ़र हनफ़ी सवालों के हिसार में
फ़िरोज़ मुज़फ़्फ़र
इंटरव्यू / साक्षात्कार
Bhagwat Jyotishwar Bhogol Virodh Parihar
Shumara Number-004
Shumara Number-006
Shumara Number-003
Nov 1898तोहफ़ा-ए-हंफ़िया
मुंशी बंसीधर चौंके। अलोपीदीन इस इलाक़े का सबसे बड़ा और मुमताज़ ज़मींदार था, लाखों की हंडियाँ चलती थीं, ग़ल्ले का कारोबार अलग। बड़ा साहिब-ए-असर, बड़ा हुक्काम-रस, बड़े-बड़े अंग्रेज़ अफ़्सर उसके इलाक़े में शिकार खेलने आते और उसके मेहमान होते। बारह महीने सदा बरत चलता था। पूछा कहाँ जाएँगी। जवाब मिला...
न भागा जाये है मुझसे न ठैरा जाये है मुझसे आपका हथियार डालना था कि हरीफ़ ने आपको गिरफ़्तार कर लिया और पा-ब-जौलाँ अपने क़िला की तरफ़ ले गया। तमाशाइयों का एक बहुत बड़ा मजमा साथ हो लिया क्योंकि ये बात ज़बान ज़द ख़ास-ओ-आम हो चुकी थी कि मिर्ज़ा ग़ालिब...
बैठते जब हैं खिलौने वो बनाने के लिएउन से बन जाते हैं हथियार ये क़िस्सा क्या है
हारने वालों ने इस रुख़ से भी सोचा होगासर कटाना है तो हथियार न डाले जाएँ
सज्जाद के लिए अब कोई चारा न था। उसने हालात के सामने हथियार डाल दिए। निकाह के सारे इंतिज़ामात ख़ुद किए, वकील गवाह की जगह दस्तख़त किए और अपने हाथों ताजी को फ़वाद की तहवील में दे दिया। इतने थोड़े वक़फ़े में इतने सारे हादिसात ने रेल-पेल कर उसे नीम...
जलियाँवाला बाग़ में हज़ारों का मजमा था और सभी निहत्ते थे और सभी आज़ादी के परसतार थे। हाथों में लाठियाँ थीं न रिवॉल्वर, ना ब्रेन गन ना स्टेन गन। हैंड ग्रेनेड ना थे। देसी या विलाएती साख़्त के बम भी न थे मगर पास कुछ ना होते हुए भी निगाहों...
जब तक कॉलेज सर पर सवार रहा पढ़ने-लिखने से फ़ुर्सत ही ना मिली जो अदब की तरफ़ तवज्जोह की जाती और कॉलेज से निकल कर बस दिल में यही बात बैठ गई कि हर चीज़ जो दो साल पहले लिखी गई बोसीदा, बद-मज़ाक़ और झूठी है। नया अदब सिर्फ़ आज...
हथियार डाले बैठा हारा हुआ ये लड़काऔर वो हसीन लड़की दुनिया से लड़ रही है
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books