aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".eca"
अदा जाफ़री
1924 - 2015
शायर
बिस्मिल सईदी
1901 - 1976
अक्स समस्तीपुरी
born.1996
अहमद अता
born.1985
अताउल हक़ क़ासमी
born.1943
लेखक
अना देहलवी
आमिर अता
born.1994
सय्यद अबुल आला मोदूदी
1903 - 1979
अता शाद
1939 - 1997
अता तुराब
born.1977
अक़्सा फ़ैज़
born.1995
अता आबिदी
born.1962
बेगम सुल्ताना ज़ाकिर अदा
born.1929
सादिक़ा नवाब सहर
रिज़्वाना बानो इक़रा
born.1988
सुना है आइना तिमसाल है जबीं उस कीजो सादा दिल हैं उसे बन-सँवर के देखते हैं
इक 'उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिर्या से भी महरूमऐ राहत-ए-जाँ मुझ को रुलाने के लिए आ
दिल कि आते हैं जिस को ध्यान बहुतख़ुद भी आता है अपने ध्यान में क्या
(ये मेरी एक ख़्वाहिश है जो मुश्किल है)वो 'नज्म'-आफ़ंदि-ए-मरहूम को तो जानती होगी
अता मोमिन को फिर दरगाह-ए-हक़ से होने वाला हैशिकोह-ए-तुर्कमानी ज़ेहन हिन्दी नुत्क़ आराबी
ज़ीशान साहिल उर्दू कविता के एक अनोखे और संवेदनशील लहजे के कवि हैं, जिन्होंने आधुनिक दौर की जटिल भावनाओं को सरल लेकिन गहरे रूपकों के माध्यम से व्यक्त किया है। उनकी कविताओं में एक मौन विरोध, एक तहदार आलोचना, और एक बौद्धिक कोमलता पाई जाती है जो पाठक को झकझोर देती है। उनके यहाँ दुख, ख़ामोशी और समय जैसे विषयों का सौंदर्यपूर्ण चित्रण मुख्य रूप से मिलता है।
तरक़्क़ीपसंद का दौर वो दौर था, जब सारे अदीब- शायर हमारे समाज को बेहतर बनाने की कोशिश में नग़मे बुन रहे थे | यहाँ उस समय के चंद शायर की चंद ग़ज़लें दी जा रही हैं |
मुस्कुराहट को हम इंसानी चेहरे की एक आम सी हरकत समझ कर आगे बढ़ जाते हैं लेकिन हमारे इन्तिख़ा कर्दा इन अशआर में देखिए कि चेहरे का ये ज़रा सा बनाव किस क़दर मानी-ख़ेज़ी लिए हुए है। इश्क़-ओ-आशिक़ी के बयानिए में इस की कितनी जहतें हैं और कितने रंग हैं। माशूक़ मुस्कुराता है तो आशिक़ उस से किन किन मानी तक पहुँचता है। शायरी का ये इन्तिख़ाब एक हैरत कदे से कम नहीं इस में दाख़िल होइये और लुत्फ़ लीजिए।
सीआईऐسی آئی اے
CIA
Khilafat-o-Mulukiyat
इस्लामियात
Umrao Jaan Ada
मिर्ज़ा हादी रुस्वा
सामाजिक
Anna Karenina
लेव तालस्तोय
नॉवेल / उपन्यास
Aaina-e-Amliyat
मोहम्मद अज़ीज़ुर्रहमान
Tasawwuf Ki Haqeeqat Aur Uska Falsafa-e-Tareekh
शाह वलीउल्लाह मोहद्दिस देहलवी
सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
उमराव जान अदा
Yahoodiyat-o-Nasraniyat
विश्व इतिहास
Darwin Aur Uska Nazariya-e-Irtiqa
इफ़्तिख़ार आलम ख़ान
शोध
उर्दू ज़बान और इब्लाग़-ए-आम्मा
मशावर्ती कमेटी
भाषा
Aaina-e-Aurangzeb
सय्यद ज़िल्लुर्रहमान
भारत का इतिहास
Risala-e-Deeniyat
सर सय्यद अहमद खाँ और उन का अहद
सुरैया हुसैन
Umrao Jaan Ada: Ek Khusoosi Mutala
शहीद जमील
फ़िक्शन तन्क़ीद
नव तर्ज़-ए-मुरस्सा
मीर मोहम्मद हुसैन अता ख़ान तहसीन
दास्तान
बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगेइक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
हूँ मगर मेरी जहाँ-बीनी बताती है मुझेजो मुलूकियत का इक पर्दा हो क्या इस से ख़तर
उस के गाँव की एक निशानी ये भी हैहर नलके का पानी मीठा होता है
इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिनदेखे हैं हम ने हौसले पर्वरदिगार के
नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हमबिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
आँखों में जो बात हो गई हैइक शरह-ए-हयात हो गई है
एक सूरज था कि तारों के घराने से उठाआँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आयाबात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
ये परी-चेहरा लोग कैसे हैंग़म्ज़ा ओ इश्वा ओ अदा क्या है
नाम-ए-आक़ा जहाँ भी लिया जाएगा ज़िक्र उन का जहाँ भी किया जाएगानूर ही नूर सीनों में भर जाएगा सारी महफ़िल में जल्वे लपक जाएँगे
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