aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".evvj"
औज लखनवी
1853 - 1917
शायर
मिर्ज़ा अली अकबर औज
born.2002
औज याक़ूबी
लेखक
राज्य बहादुर सकसेना औज
राजेश कुमार औज
आज की किताबें, कराची
पर्काशक
डॉ, मुहम्मद शकील ओज
मोहम्मद नज़ीर ओज
Auj Publications, Multan
Abdullateef Auj
मोहम्मद याक़ूब औज
इविव इंदरिक
सय्यद मोहम्मद हबीबुल्लाह औज
संपादक
हफ़्त रोज़ा आज की हुकूमत, दिल्ली
आज प्रेस
आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों परक्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें
भूले से मुस्कुरा तो दिए थे वो आज 'फ़ैज़'मत पूछ वलवले दिल-ए-ना-कर्दा-कार के
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाबआज तुम याद बे-हिसाब आए
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन कोक्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
मुझे वफ़ा से बैर हैये बात आज की नहीं
शेर-ओ-अदब के समाजी सरोकार भी वाज़ेह रहे हैं और शायरों ने इब्तिदा ही से अपने आप पास के मसाएल को शायरी का हिस्सा बनाया है अल-बत्ता एक दौर ऐसा आया जब शायरी को समाजी इन्क़िलाब के एक ज़रिये के तौर पर इख़्तियार किया गया और समाज के निचले, गिरे पड़े और किसान तबक़े के मसाएल का इज़हार शायरी का बुनियादी मौज़ू बन गया। आप इन शेरों में देखेंगे कि किसान तबक़ा ज़िंदगी करने के अमल में किस कर्ब और दुख से गुज़र्ता है और उस की समाजी हैसियत क्या है।किसानों पर की जाने वाली शायरी की और भी कई जहतें है। हमारा ये इन्तिख़ाब पढ़िए।
सूफ़ीवाद ने उर्दू शायरी को कई तरह से विस्तार दिया है और प्रेम के रंगों को सूफ़ीयाना-इश्क़ के संदर्भों में स्थापित किया है। असल में इशक़ में फ़ना का तसव्वुर, इशक़-ए-हक़ीक़ी से ही आया है। इसके अलावा हमारे जीवन की स्थिरता, हमारी सहिष्णुता और मज़हबी कट्टरपन की जगह सहनशीलता का परिचय आदि ने सूफ़ीवाद के माध्यम से भी उर्दू शायरी को माला-माल किया है। दिलचस्प बात ये है कि तसव्वुफ़ ने जीवन के हर विषय को प्रभावित किया जिसके माध्यम से शायरों ने कला की अस्मिता को क़ायम किया। आधुनिक युग के अंधकार में सूफ़ीवाद से प्रेरित शायरी का महत्व और बढ़ जाता है।
ख़ामोशी को मौज़ू बनाने वाले इन शेरों में आप ख़ामोशी का शोर सुनेंगे और देखेंगे कि अलफ़ाज़ के बेमानी हो जाने के बाद ख़ामोशी किस तरह कलाम करती है। हमने ख़ामोशी पर बेहतरीन शायरी का इन्तिख़ाब किया है इसे पढ़िए और ख़ामोशी की ज़बान से आगाही हासिल कीजिए।
Aaj Kal Ke Drame
मोहम्मद काज़िम
नाटक / ड्रामा
Urdu Media Kal, Aj, Kal
सय्यद फ़ाज़िल हुसैन परवेज़
पत्रकारिता
Aaj Ki Science
इज़हार असर
विज्ञान
आज का उर्दू अदब
अबुल्लैस सिद्दीक़ी
आलोचना
Auj-e-Arsh
Aaj Bazar Mein Paba Jolan Chalo
अज़ीज़ हामिद मदनी
Saadat Hasan Manto
मोहम्मद हमीद शाहिद
अफ़साना तन्क़ीद
Gabriel Garcia Marquez : Shumara Number-007
अजमल कमाल
आज
शुमरा नम्बर-077
Aaj Ka Pakistan
अहमद सईद मलीहाबादी
इंटरव्यू / साक्षात्कार
Aaj Dusri Kitab
मिलान कुंदेरा
कहानी
Mir Taqi Mir Aur Aaj Ka Zauq-e-Sheri
मुहिब आरफ़ी
तुलनात्मक अध्ययन
Aaj Ka Hyderabad
नसीरुद्दीन हाश्मी
सांस्कृतिक इतिहास
आज का मिस्र
मोहम्मद हसन
विश्व इतिहास
Tibbi Usool-e-Iaj
मोहम्मद शुजाउद्दीन हुसान हमदानी
औषधि
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आयाजाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
आज तक नज़रों में है वो सोहबत-ए-राज़-ओ-नियाज़अपना जाना याद है तेरा बुलाना याद है
क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहोकहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले
एक ही हादसा तो है और वो ये कि आज तकबात नहीं कही गई बात नहीं सुनी गई
अपनी अना की आज भी तस्कीन हम ने कीजी भर के उस के हुस्न की तौहीन हम ने की
आज मुश्किल था सँभलना ऐ दोस्ततू मुसीबत में अजब याद आया
आज क्यूँ सीने हमारे शरर-आबाद नहींहम वही सोख़्ता-सामाँ हैं तुझे याद नहीं
न पूछ-गछ थी किसी की वहाँ न आव-भगततुम्हारी बज़्म में कल एहतिमाम किस का था
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