aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".ewq"
इंटरनैशनल तब्लीग़ी इस्लामी मिशन, यू. के.
पर्काशक
अल्क घोश
लेखक
एक बी.ए
डायना एल. एक
George Routledge & Sons,Ltd,Carter Lane E.C.
हम एक हैं तंज़ीम भोपाली
ए. बी. सी. ऑफसिट प्रिन्टर्स, दिल्ली
इविव इंदरिक
दफ़तर एक आना लाइब्रेरी, लाहाैर
बस इक निगाह से लुटता है क़ाफ़िला दिल कासो रह-रवान-ए-तमन्ना भी डर के देखते हैं
इक 'उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिर्या से भी महरूमऐ राहत-ए-जाँ मुझ को रुलाने के लिए आ
ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ताएक ही शख़्स था जहान में क्या
बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगेइक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिनदेखे हैं हम ने हौसले पर्वरदिगार के
शेर-ओ-अदब के समाजी सरोकार भी वाज़ेह रहे हैं और शायरों ने इब्तिदा ही से अपने आप पास के मसाएल को शायरी का हिस्सा बनाया है अल-बत्ता एक दौर ऐसा आया जब शायरी को समाजी इन्क़िलाब के एक ज़रिये के तौर पर इख़्तियार किया गया और समाज के निचले, गिरे पड़े और किसान तबक़े के मसाएल का इज़हार शायरी का बुनियादी मौज़ू बन गया। आप इन शेरों में देखेंगे कि किसान तबक़ा ज़िंदगी करने के अमल में किस कर्ब और दुख से गुज़र्ता है और उस की समाजी हैसियत क्या है।किसानों पर की जाने वाली शायरी की और भी कई जहतें है। हमारा ये इन्तिख़ाब पढ़िए।
सूफ़ीवाद ने उर्दू शायरी को कई तरह से विस्तार दिया है और प्रेम के रंगों को सूफ़ीयाना-इश्क़ के संदर्भों में स्थापित किया है। असल में इशक़ में फ़ना का तसव्वुर, इशक़-ए-हक़ीक़ी से ही आया है। इसके अलावा हमारे जीवन की स्थिरता, हमारी सहिष्णुता और मज़हबी कट्टरपन की जगह सहनशीलता का परिचय आदि ने सूफ़ीवाद के माध्यम से भी उर्दू शायरी को माला-माल किया है। दिलचस्प बात ये है कि तसव्वुफ़ ने जीवन के हर विषय को प्रभावित किया जिसके माध्यम से शायरों ने कला की अस्मिता को क़ायम किया। आधुनिक युग के अंधकार में सूफ़ीवाद से प्रेरित शायरी का महत्व और बढ़ जाता है।
लोकप्रिय प्रमुख प्रगतिशील शायर और फि़ल्म गीतकार हीर राँझा और काग़ज़ के फूल के गीतों के लिए प्रसिद्ध
वेकویک
weak
Kai Chand The Sar-e-Aasman
रशीद अशरफ़ ख़ान
नॉवेल / उपन्यास तन्क़ीद
साख़्तियात: एक तआरुफ़
नासिर अब्बास नय्यर
मज़ामीन / लेख
R-Programming-ek Taaruf
सना रशीद
विज्ञान
Urdu Tanqeed Par Ek Nazar
कलीमुद्दीन अहमद
आलोचना
मार्कसिज़्म एक मुताअला
ज़फर इमाम
Urdu Shairi Par Ek Nazar
शायरी तन्क़ीद
Aurat Ek Nafsiyati Mutala
सिमोन द बोउआर
अनुवाद
London Ki Ek Raat
सज्जाद ज़हीर
फ़िक्शन
Ek Chadar Maili Si
राजिंदर सिंह बेदी
सामाजिक
एक थी सारा
अमृता प्रीतम
महिलाओं द्वारा अनुदित
Noon Meem Rashid: Ek Mutala
जमील जालिबी
नज़्म तन्क़ीद
इस्लामी उलूम
अब्दुल वारिस ख़ाँ
इस्लामियात
मीरा जी एक मुताला
Ek Ladki Aur Dusri Kahaniyan
ख़्वाजा अहमद अब्बास
अफ़साना
Dilli Jo Ek Shahar Tha
शाहिद अहमद देहलवी
नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हमबिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आयाबात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
भले दिनों की बात हैभली सी एक शक्ल थी
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमेंऔर हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
अगर खो गया इक नशेमन तो क्या ग़ममक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ और भी हैं
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तककौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
मौत का एक दिन मुअ'य्यन हैनींद क्यूँ रात भर नहीं आती
इन किताबों ने बड़ा ज़ुल्म किया है मुझ परइन में इक रम्ज़ है जिस रम्ज़ का मारा हुआ ज़ेहन
इक महक सम्त-ए-दिल से आई थीमैं ये समझा तिरी सवारी है
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