aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".ukj"
अक्स समस्तीपुरी
born.1996
शायर
औज लखनवी
1853 - 1917
सोनिया सोनम अक्स
born.1972
मिर्ज़ा अली अकबर औज
born.2002
औज याक़ूबी
लेखक
राज्य बहादुर सकसेना औज
राजेश कुमार औज
अक्स फिरोज़पुरी
पंडित अक्स लखनवी
born.1964
आक़ा बेदार बख़्त खाँ
आज की किताबें, कराची
पर्काशक
डॉ, मुहम्मद शकील ओज
आक़ा हुसैन क़ुली ख़ाँ अज़ीमाबादी
Abdullateef Auj
मोहम्मद याक़ूब औज
बस इक निगाह से लुटता है क़ाफ़िला दिल कासो रह-रवान-ए-तमन्ना भी डर के देखते हैं
इक 'उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिर्या से भी महरूमऐ राहत-ए-जाँ मुझ को रुलाने के लिए आ
ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ताएक ही शख़्स था जहान में क्या
आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों परक्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें
बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगेइक 'उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
मुस्कुराहट को हम इंसानी चेहरे की एक आम सी हरकत समझ कर आगे बढ़ जाते हैं लेकिन हमारे इन्तिख़ा कर्दा इन अशआर में देखिए कि चेहरे का ये ज़रा सा बनाव किस क़दर मानी-ख़ेज़ी लिए हुए है। इश्क़-ओ-आशिक़ी के बयानिए में इस की कितनी जहतें हैं और कितने रंग हैं। माशूक़ मुस्कुराता है तो आशिक़ उस से किन किन मानी तक पहुँचता है। शायरी का ये इन्तिख़ाब एक हैरत कदे से कम नहीं इस में दाख़िल होइये और लुत्फ़ लीजिए।
शायर और रचनाकारों की कल्पना-शक्ति ने बदन की साधारण और सामान्य क्रियाओं को भी हुस्न के दिलचस्प आख्यान में रूपांतरित कर दिया है । असल में अंगड़ाई बदन की साधारण और सामान्य क्रियाओं में से एक है लेकिन शायरों ने अलग से इसके सौन्दर्यशास्त्र की पूरी किताब लिख दी है और अपने ज़हन की ज़रख़ेज़ी और उर्वरता का अदभूत एवं अद्भुत सबूत दिया है । अंगड़ाई के संदर्भ में उर्दू शायरी के कुछ हिस्से तो ऐसे हैं कि मानोअंगड़ाई ही हुस्न की पूरी तस्वीर हो । अपने महबूब की अंगड़ाई का नज़ारा और उसकी तस्वीर बनाती हुई चुनिंदा शायरी का एक संकलन यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है ।
दुनिया को हम सबने अपनी अपनी आँख से देखा और बर्ता है इस अमल में बहुत कुछ हमारा अपना है जो किसी और का नहीं और बहुत कुछ हमसे छूट गया है। दुनिया को मौज़ू बनाने वाले इस ख़ूबसूरत शेरी इन्तिख़ाब को पढ़ कर आप दुनिया से वाबस्ता ऐसे इसरार से वाक़िफ़ होंगे जिन तक रसाई सिर्फ़ तख़्लीक़ी अज़हान ही का मुक़द्दर है। इन अशआर को पढ़ कर आप दुनियाँ को एक बड़े सियाक़ में देखने के अहल होंगे।
कुइज़کوئز
quiz
कजکج
crooked, perverse, awry
काजکاج
buttonhole, work, business
hole for button
काश, ईश्वर करे, भेगा, जिसे एक की दो चीज़ दिखाई पड़ती हों।
क़ाज़قاز
a goose or duck
हंस की जाति का एक पक्षी जो दूसरे ठंडे देशों से जाड़ों में भारत आ जाता है और जाड़ों के बाद लौट जाता है।
Kai Chand The Sar-e-Aasman
रशीद अशरफ़ ख़ान
नॉवेल / उपन्यास तन्क़ीद
साख़्तियात: एक तआरुफ़
नासिर अब्बास नय्यर
मज़ामीन / लेख
R-Programming-ek Taaruf
सना रशीद
विज्ञान
Urdu Tanqeed Par Ek Nazar
कलीमुद्दीन अहमद
आलोचना
मार्कसिज़्म एक मुताअला
ज़फर इमाम
Urdu Shairi Par Ek Nazar
शायरी तन्क़ीद
Aurat Ek Nafsiyati Mutala
सिमोन द बोउआर
अनुवाद
London Ki Ek Raat
सज्जाद ज़हीर
फ़िक्शन
एक थी सारा
अमृता प्रीतम
महिलाओं द्वारा अनुदित
Ek Chadar Maili Si
राजिंदर सिंह बेदी
सामाजिक
Noon Meem Rashid: Ek Mutala
जमील जालिबी
नज़्म तन्क़ीद
इस्लामी उलूम
अब्दुल वारिस ख़ाँ
इस्लामियात
Aaj Kal Ke Drame
मोहम्मद काज़िम
नाटक / ड्रामा
मीरा जी एक मुताला
Ek Ladki Aur Dusri Kahaniyan
ख़्वाजा अहमद अब्बास
अफ़साना
इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिनदेखे हैं हम ने हौसले पर्वरदिगार के
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाबआज तुम याद बे-हिसाब आए
नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हमबिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आयाबात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
भले दिनों की बात हैभली सी एक शक्ल थी
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमेंऔर हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
अगर खो गया इक नशेमन तो क्या ग़ममक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ और भी हैं
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आयाजाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
मौत का एक दिन मुअ'य्यन हैनींद क्यूँ रात भर नहीं आती
इन किताबों ने बड़ा ज़ुल्म किया है मुझ परइन में इक रम्ज़ है जिस रम्ज़ का मारा हुआ ज़ेहन
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