aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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आसी आरवी
born.1921
शायर
साबिर आरवी
born.1933
फ़ारूक़ ज़मन
born.1969
शाकिर आरवी
born.1940
लेखक
जॉर्ज ऑरवेल
1903 - 1950
नईम आरवी
हबीब आरवी
तबीब आरवी
शरर आरवी
माहिर आरवी
born.1930
सर मोर्टिमर व्हीलर
1890 - 1976
सय्यद इराक़ रज़ा ज़ैदी
संपादक
इरक ऊढ़
जिगर आरवी
एरिक डेविड
कलाकार
होश आया तो सभी ख़्वाब थे रेज़ा रेज़ाजैसे उड़ते हुए औराक़-ए-परेशाँ जानाँ
आग दोज़ख़ की भी हो जाएगी पानी पानीजब ये आसी अरक़-ए-शर्म से तर जाएँगे
देख कर फूल के औराक़ पे शबनम कुछ लोगतिरा अश्कों भरा मक्तूब समझते होंगे
उरूक़-मुर्दा-ए-मशरिक़ में ख़ून-ए-ज़िंदगी दौड़ासमझ सकते नहीं इस राज़ को सीना ओ फ़ाराबी
सारे औराक़-ए-गुल बिखर जाएँनाज़-पर्वर्दा बे-नवा मजबूर
Auraq-e-Karbala
सय्यद इक़बाल हुसैन काज़मी
मर्सिया
Auraq-e-Hayat
शाह इमरान हसन
Jadeed Nazm Nubmer: Shumara Number-007,008
वज़ीर आग़ा
औराक़
Auraq-e-Musawwar
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
भारत का इतिहास
Auraq-ul-Aruz
मोहम्मद ग़यासुद्दीन
अनुवाद
Tareekh ke Gumshuda Auraq
नियाज़ फ़तेहपुरी
अफ़साना
Jamia Millia Islamia-Auraq-e-Musavvar
शहाबुद्दीन अन्सारी
जामिया,नई दिल्ली
Angrezi Hukoomat Aur Iraq-e-Arab
मुंशी मुश्ताक़ अहमद
इस्लामिक इतिहास
Tareekh-e-Khandesh Ke Bikhre Auraq
अकबर रहमानी
Auraq-e-Maani
मिर्ज़ा ग़ालिब
पत्र
Andhe Savere
एरिक काडर
नॉवेल / उपन्यास
Auraq-e-Gumgashta
रहीम बख़श शाहीन
आलोचना
मोहम्मद अली: ज़ाती डाइरी के चंद औराक़
अब्दुल माजिद दरियाबादी
Shumara Number-007,008
सज्जाद नक़वी
Auraq-e-Nagina
वसीम अहमद सईद
ख़ाका: इतिहास एवं समीक्षा
ऐ इश्क़-ए-नाला-कश तिरी ग़ैरत को क्या हुआहै है अरक़ अरक़ वो तन-ए-नाज़नीं रहे
पोंछो न अरक़ रुख़्सारों से रंगीनी-ए-हुस्न को बढ़ने दोसुनते हैं कि शबनम के क़तरे फूलों को निखारा करते हैं
पहुँचूँगा सेहन-ए-बाग़ में शबनम-रुतों के साथसूखे हुए गुलों में अरक़ छोड़ जाऊँगा
ख़लिश दीमक-ज़दा औराक़ पर बोसीदा सतरों का ज़ख़ीरा हैख़ुम्मार-ए-वस्ल तपती धूप के सीने पे उड़ते बादलों की राएगाँ बख़्शिश!
किताब-ए-माज़ी के औराक़ उलट के देख ज़रान जाने कौन सा सफ़हा मुड़ा हुआ निकले
मोती समझ के शान-ए-करीमी ने चुन लिएक़तरे जो थे मिरे अरक़-ए-इंफ़िआ'ल के
पूछो न अरक़ रुख़्सारों से रंगीनी-ए-हुस्न को बढ़ने दोसुनते हैं कि शबनम के क़तरे फूलों को निखारा करते हैं
रिसते हुए दिल के ज़ख़्मों को दुनिया से छुपाना खेल नहींऔराक़-ए-नज़र से जल्वों की तहरीर मिटाना खेल नहीं
ज़िंदगी अपनी किताबों में छुपा ले वर्नातेरे औराक़ के मानिंद बिखर जाऊँगा
अभी हम ख़ूबसूरत हैंहमारे जिस्म औराक़-ए-ख़िज़ानी हो गए हैं
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