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ग़ज़ल
कल मैं ने कहा उस से क्या दिल में ये आया जो
कंघी है न चोटी है मिस्सी है न काजल है
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
मैं किंगरा-ए-अर्श से पर मार के गुज़रा
अल्लाह-रे रसाई मिरी पर्वाज़ तो देखो
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
नज़्म
ईद का मेला
लो इक जी-दार बिसाती ने हर चीज़ लगा दी चार आने
कंघी जापानी चार आने शीशा बग़्दादी चार आने