आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "Gol"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "Gol"
ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "Gol"
समस्त
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "Gol"
ग़ज़ल
कौन सियाही घोल रहा था वक़्त के बहते दरिया में
मैं ने आँख झुकी देखी है आज किसी हरजाई की
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
तल्ख़ियाँ बढ़ गईं जब ज़ीस्त के पैमाने में
घोल कर दर्द के मारों ने पिया ईद का चाँद
साग़र सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
बहादुर शाह ज़फ़र
नज़्म
होली की बहारें
महबूब नशे में छकते हों तब देख बहारें होली की
हो नाच रंगीली परियों का बैठे हों गुल-रू रंग-भरे
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
क़ैद-ए-तन्हाई
कासा-ए-दिल में भरी अपनी सुबूही मैं ने
घोल कर तलख़ी-ए-दीरोज़ में इमरोज़ का ज़हर