आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "a.ng.Daa.iyaa.n"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "a.ng.Daa.iyaa.n"
नज़्म
आवारा
हर तरफ़ बिखरी हुई रंगीनियाँ रानाइयाँ
हर क़दम पर इशरतें लेती हुई अंगड़ाइयाँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
हिण्डोला
वो कपकपाते हुए सोज़-ओ-साज़ के शोले
इन्ही फ़ज़ाओं में अंगड़ाइयाँ जो ले के उठे
फ़िराक़ गोरखपुरी
पुस्तकें के संबंधित परिणाम "a.ng.Daa.iyaa.n"
अन्य परिणाम "a.ng.Daa.iyaa.n"
नज़्म
रिश्वत
पेट में लेती है लेकिन भूक जब अंगड़ाइयाँ
और तो और अपने बच्चे को चबा जाती है माँ
जोश मलीहाबादी
नज़्म
ऐ मिरे बे-दर्द शहर
रास्तों से ख़्वाब-गाहों तक मुसलसल मौज-ए-रंग
जिस तरह क़ौस-ए-क़ुज़ह की टूटती अंगड़ाइयाँ
अहमद फ़राज़
नज़्म
साल-ए-नौ
हज़ारों ख़्वाहिशें अंगड़ाइयाँ लेती हैं सीने में
जहान-ए-आरज़ू का ज़र्रा ज़र्रा गुनगुनाता है
अली सरदार जाफ़री
नज़्म
दरबार1911
बहर-ए-हस्ती ले रहा था बे-दरेग़ अंगड़ाइयाँ
थेम्स की अमवाज जमुना से हुई थीं हम-कनार
अकबर इलाहाबादी
नज़्म
बादा-ए-नीम-रस
रक़्स अंगड़ाइयाँ लेता है तिरी बाँहों में
हैरत-आसार है क्यूँ चश्म-ए-फ़ुसूँ-बार तिरी
सैफ़ुद्दीन सैफ़
नज़्म
अब क्या करूँ
ज़ख़्म अब भरने न पाए थे कि बादल चर्ख़ पर
आ गया अंगड़ाइयाँ लेता हुआ अब क्या करूँ
जोश मलीहाबादी
नज़्म
बड़े नाज़ से आज उभरा है सूरज
कि तारों की दुनिया को भी रश्क आए
हमारे उक़ाबों ने अंगड़ाइयाँ लीं
मुईन अहसन जज़्बी
नज़्म
तवाइफ़
सिसकियाँ भरती है तो अंगड़ाइयाँ लेती है तो
उफ़ ऐ मक्कारा भरी महफ़िल को जल देती है तू