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ग़ज़ल
वो तिरा हुस्न-ए-तजल्ली अल-हफ़ीज़-ओ-अल-अमाँ
मेरी आँखों में मिरे दिल में समाना याद है
अफ़ज़ल पेशावरी
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नज़्म
'गाँधी-जी' की याद में!
शराब-ए-नौ की मस्तियाँ, कि अल-हफ़ीज़-ओ-अल-अमाँ
मगर वो इक लतीफ़ सा सुरूर-ए-बादा-ए-कुहन
जिगर मुरादाबादी
नज़्म
ग़रीबों का ख़ुदा कोई नहीं
हर किसी की था ज़बाँ पर अल-हफ़ीज़-ओ-अल-ग़ियास
चिलचिलाती धूप से था ज़र्रा ज़र्रा बे-क़रार
अब्दुल क़य्यूम ज़की औरंगाबादी
ग़ज़ल
तेरे कूचे के मज़े कब को समझता वाइज़
उस की तस्कीं के लिए ज़िक्र-ए-इरम अच्छे हैं
अल-हाज अल-हाफीज़
ग़ज़ल
मेरी नवा-ए-शौक़ से शोर हरीम-ए-ज़ात में
ग़ुल्ग़ुला-हा-ए-अल-अमाँ बुत-कदा-ए-सिफ़ात में
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ख़ुर्शीद-ए-महशर की लौ
हाथ सीने पे रक्खो तो हर उस्तुखाँ
से उठे नाला-ए-अल-अमाँ अल-अमाँ
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
सफ़ीर-ए-लैला-2
जहाँ हवाओं का लम्स मिलता
फ़रिश्ते आवाज़-ए-अल-अमाँ में मिरे लिए ही