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नज़्म
ख़ूब-सूरत मोड़
न तुम मेरी तरफ़ देखो ग़लत-अंदाज़ नज़रों से
न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाए मेरी बातों से
साहिर लुधियानवी
नज़्म
जवाब-ए-शिकवा
पीर-ए-गर्दूं ने कहा सुन के कहीं है कोई
बोले सय्यारे सर-ए-अर्श-ए-बरीं है कोई
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना
बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
निगाह-ए-बादा-गूँ यूँ तो तिरी बातों का क्या कहना
तिरी हर बात लेकिन एहतियातन छान लेते हैं
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
मैं पल दो पल का शा'इर हूँ
कल कोई मुझ को याद करे क्यूँ कोई मुझ को याद करे
मसरूफ़ ज़माना मेरे लिए क्यूँ वक़्त अपना बर्बाद करे
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
सबा अकबराबादी
ग़ज़ल
वो गुल हूँ ख़िज़ाँ ने जिसे बर्बाद किया है
उलझूँ किसी दामन से मैं वो ख़ार नहीं हूँ