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ग़ज़ल
सदा रहे तेरा ग़म सलामत यही असासा है आबरू का
ये दौलत-ए-दिल बहम न होती तो कौन पुरसाँ था आरज़ू का
जमाल पानीपती
ग़ज़ल
साबिर ज़फ़र
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ग़ज़ल
अगर सलामत रहा तसव्वुर तो बाग़-ए-दिल पुर-बहार होगा
नफ़स में याद-ए-हबीब होगी नज़र में दीदार-ए-यार होगा