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नज़्म
ए'तिराफ़
शोला-ज़ारों में जलाई है जवानी मैं ने
शहर-ए-ख़ूबाँ में गँवाई है जवानी मैं ने
असरार-उल-हक़ मजाज़
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ग़ज़ल
नासिर काज़मी
ग़ज़ल
शाएरी क्या है कि इक उम्र गँवाई हम ने
चंद अल्फ़ाज़ को इम्कान ओ असर देने में