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नज़्म
ख़्वाब जो बिखर गए
मगन था मैं कि प्यार के बहुत से गीत गाऊँगा
ज़बान गुंग हो गई, गले में गीत घुट गए
आमिर उस्मानी
नज़्म
इसी दो-राहे पर
और ये अहद किया था कि ब-ईं हाल-ए-तबाह
अब कभी प्यार भरे गीत नहीं गाऊँगा
साहिर लुधियानवी
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नज़्म
तराना-ए-वतन
तेरे माथे की रेखा हैं गंग-ओ-जमन
तेरी मिट्टी में ख़्वाबीदा हैं फ़िक्र-ओ-फ़न
कँवल डिबाइवी
नज़्म
जहान-ए-नौ
वहाँ मैं दिल की उमंगों के गीत गाऊँगा
वहाँ मैं हुस्न को अपना ख़ुदा बनाऊँगा
नईम सिद्दीक़ी
हास्य शायरी
मिला कर उन के सुर में अपना सुर गाऊँगा मैं भी
सवाब-ए-जारिया पाऊँगा मैं भी
ग़ौस ख़ाह मख़ाह हैदराबादी
नज़्म
जवाब-ए-शिकवा
देख कर रंग-ए-चमन हो न परेशाँ माली
कौकब-ए-ग़ुंचा से शाख़ें हैं चमकने वाली